मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ कॉरिडोर का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। हाल ही में, मुख्यमंत्री ने यहां चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया, जिसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है...
प्रयागराज महाकुंभ 2025 : श्रद्धालुओं की आस्था और आकर्षण का केंद्र होगा हनुमान मंदिर, आयोजन की निगहबानी करेंगे नगर कोतवाल
Oct 21, 2024 13:38
Oct 21, 2024 13:38
- महाकुंभ की अभूतपूर्व निगहबानी करेंगे नगर कोतवाल
- श्रद्धालुओं आस्था और आकर्षण का केंद्र होगा मंदिर
- पौराणिक मंदिर को भव्य और नव्य रूप देने का संकल्प
श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण होगा हनुमान मंदिर
ऐसा माना जा रहा है कि महाकुंभ के दौरान बड़े हनुमान मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा। मंदिर के जीर्णोधार और सौंदर्यीकरण के साथ, श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करने के लिए कई सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। इन प्रयासों के चलते, महाकुंभ 2025 एक दिव्य और भव्य आयोजन के रूप में उभरने की उम्मीद है।
महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने की तैयारी
दरअसल, महाकुंभ 2025 से पहले योगी सरकार प्रयागराज और यहां के धर्मस्थलों को सजाने संवारने में जुटी हुई है। महाकुंभ 2025 को दिव्य, नव्य और भव्य बनाने के लिए प्रशासनिक टीमें दिन-रात लगी हुई हैं। करीब 700 वर्ष पुराने इस मंदिर को भव्य रूप देने की पूरी तैयारी चल रही है। मंदिर का सौंदर्यीकरण ऐतिहासिक रूप से किया जा रहा है।
गर्भगृह को बड़ा करने की योजना
प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर के स्वरूप में बदलाव के तहत सबसे पहले मंदिर के गर्भगृह को बड़ा किया जाएगा। इसी के साथ परिक्रमा पथ, दुकानें, पार्किंग, प्रवेश द्वार और रैन बसेरा व हवन कुंड आदि बनाए जा रहे हैं। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं और जनता को पहली बार संगम स्नान के बाद बड़े हनुमान जी का मंदिर अभूतपूर्व ढंग से अपनी ओर आकर्षित करेगा।
20 फीट लंबी है हनुमानजी की प्रतिमा
बता दें कि प्रयागराज के कोतवाल माने जाने वाले लेटे हुए हनुमान मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 24 घंटे काम चल रहा है। हनुमानजी की यह प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी और 20 फीट लंबी है। माना जाता है कि यह धरातल से कम से कम 6 या 7 फीट नीचे है। इन्हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इनके दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है। उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा शोभित है।
हनुमान जी ने संगम पर किया था विश्राम
बड़े हनुमान मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि लंका पर जीत के बाद जब हनुमान जी सेना के साथ वापसी कर रहे थे, तो उन्हें थकान लगी। इसके बाद माता सीता के कहने पर वह यहीं पर संगम के तट पर लेट गए। इसी को ध्यान में रखते हुए लेटे हनुमानजी का मंदिर बनाया गया। ऐसा माना जाता है गंगा का पानी लेटे हनुमान जी की प्रतिमा को स्पर्श करता है, फिर नीच उतर जाता है।
अकबर को इसलिए पीछे खिसकानी पड़ी किले की दीवार
ऐतिहासिक तीर्थ नगरी में बड़े हनुमान मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि अपने कार्यकाल के दौरान अकबर बंगाल अवध के साथ मगध और पूर्वी भारत में होने वाले विद्रोह पर नियंत्रण करना चाहता था, जिसके लिए साल 1582 में मंदिर को अपने किले के घेरे में लेने की योजना बनाई गई। उसने बाकायदा इसके लिए 100 सैनिकों की फौज खड़ी कर दी, मगर वह हनुमान जी की मूर्ति को एक इंच भी न हिला सके। जिसके बाद उसने किले की दीवार पीछे खिसका ली।
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