प्रयागराज न्यूज़ : सपा छोड़ने की तैयारी में रेवती रमण, अब इस पार्टी में हो सकते हैं शामिल

सपा छोड़ने की तैयारी में रेवती रमण, अब इस पार्टी में हो सकते हैं शामिल
UPT | रेवती रमण

Feb 28, 2024 12:58

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भले ही यूपी के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी से दोस्ती कर कांग्रेस पार्टी से समझौता कर लिया हो, लेकिन...

Feb 28, 2024 12:58

Short Highlights
  • अखिलेश यादव के फैसलों से नाराज हैं रेवती रमण
  • 8 बार विधायक और 3 बार सांसद रह चुके हैं रेवती रमण


 

Prayagraj News : समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भले ही यूपी के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी से दोस्ती कर कांग्रेस पार्टी से समझौता कर लिया हो, लेकिन उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य, पल्लवी पटेल, मनोज पांडेय और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के बाद अब पार्टी के एक और बेहद करीबी नेता अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। नाराजगी का आलम है कि नेता जल्द ही समाजवादी पार्टी से नाता तोड़कर नया सियासी ठिकाना तलाशने की तैयारी में हैं। 
  आठ बार विधायक रह चुके हैं रेवती रमण
नाराज रेवती रमण सिंह आठ बार विधायक और तीन बार सांसद रह चुके हैं। प्रयागराज के रहने वाले रेवती रमण मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। वह यूपी सरकार में कई बार मंत्री और समाजवादी पार्टी में महासचिव भी रहे हैं। रेवती रमण सिंह और उनके पूर्व मंत्री बेटे उज्जवल रमण सिंह पार्टी में पिछले कुछ दिनों से खुद को अलग महसूस कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने पहले रेवती रमण सिंह को महासचिव पद से हटाया। उसके बाद राज्यसभा चुनाव में भी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। अखिलेश ने इलाहाबाद लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस के साथ समझौता की है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि  रेवती रमण सिंह लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय सीट से अपने बेटे और यूपी सरकार के पूर्व मंत्री उज्जवल रमण सिंह को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में थे।


दो बड़ी पार्टियों के संपर्क में हैं रेवती रमण
सूत्रों के मुताबिक, रेवती रमण सिंह और उनका परिवार अखिलेश यादव से इस कदर नाराज है कि उन्होंने अब पार्टी छोड़ने की तैयारी कर ली है। अगले दो हफ्तों में इसका औपचारिक तौर पर ऐलान हो सकता है। हालांकि, नए सियासी ठिकाने को लेकर अंदर खाने अभी से खिचड़ी पकने लगी है। जानकारी के मुताबिक, रेवती रमण का परिवार पिछले कुछ दिनों से देश की दो बड़ी पार्टियों के संपर्क में है। एक जगह बात लगभग फाइनल भी हो चुकी है। हालांकि, अभी इस बात का पशोपेश है कि कहां ज्यादा उचित सम्मान मिलेगा और सियासी भविष्य ज्यादा उज्जवल होगा। 

लोकसभा चुनाव लड़ेंगे उज्जवल रमण सिंह
समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद की लोकसभा सीट भले ही कांग्रेस को दे दी हो, लेकिन रेवती रमण के समर्थकों का दावा है उनके बेटे उज्जवल रमण सिंह लोकसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगे। उज्जवल रमण सिंह जिस इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, वहां से अभी बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी सांसद है। रेवती रमण परिवार के बीजेपी में शामिल होने में यही सबसे बड़ा पेच है। वैसे कांग्रेस के भी कुछ बड़े नेताओं ने रेवती रमण से संपर्क साधा है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से पूरे परिवार को उचित सम्मान दिए जाने की बात भी कही गई है। हालांकि, अखिलेश यादव से समझौता होने के बाद कांग्रेस अब सपा में सेंधमारी कराने का रिस्क शायद ही उठाना चाहेगी। रेवती रमण के करीबी माने जाने वाले कई ब्लॉक प्रमुख व दूसरे नेता पिछले दिनों लखनऊ में बीजेपी में शामिल हुए हैं। करीबियों के दल-बदल ने चर्चाओं का बाजार और गर्म कर दिया है। 

2004 में पहली बार बने थे सांसद
बताया जा रहा है कि रेवती रमण और उनके परिवार ने अब समाजवादी पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है। हालांकि, नए ठिकाने को लेकर तस्वीर अभी तक साफ नहीं है। अब यह देखना होगा कि वह राहुल गांधी का हाथ थामते हैं या फिर कमल के हमसफर बनेंगे। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या लगातार हो रही बगावत से सबक लेते हुए अखिलेश यादव अब रेवती रमण के परिवार को मना कर डैमेज कंट्रोल की कोई कोशिश करेंगे। रेवती रमण सिंह भूमिहार समुदाय से आते हैं। इस वर्ग के वोटरों में पूर्वांचल से लेकर से लेकर बुंदेलखंड तक उनकी मजबूत पैठ मानी जाती है। वह प्रयागराज की करछना सीट से 7 बार विधायक रहे हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को हराकर पहली बार सांसद बने थे। साल- 2009 में वह लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए थे। साल- 2014 में मोदी लहर में हारने के बाद मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। उनका राज्यसभा का कार्यकाल करीब डेढ़ साल पहले ही खत्म हो गया है।

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