उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित की जा रही पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन अब लगातार दूसरे दिन भी जारी है...
UPPSC परीक्षा विवाद : मेन गेट पर कालिख से लिखा लूट सेवा आयोग, छात्रों ने थाली बजाकर जताया विरोध
Nov 12, 2024 16:13
Nov 12, 2024 16:13
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हिरासत में पूर्व आईजी अमिताभ ठाकुर
ताजा जानकारी के मुताबिक, प्रतियोगी छात्रों के समर्थन में प्रयागराज इंटरसिटी से प्रयाग स्टेशन पहुंचे पूर्व आईजी अमिताभ ठाकुर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। जिसके बाद उन्हें कटरा चौकी ले गए। वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्य छात्रों के समर्थन में उतर आए हैं। कहा- अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और शीघ्र समाधान निकालें। सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि उनकी तैयारी में लगे। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कि योगी बनाम प्रतियोगी छात्र जैसा माहौल है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग नहीं चाहिए, जैसे आरोप बताते हैं कि रोजगार और शिक्षा की समस्याओं ने सरकार के प्रति विश्वास को हिलाकर रख दिया है।
दूसरे दिन भी आंदोलन जारी
रविवार रात को बड़ी संख्या में छात्र आयोग के दफ्तर के बाहर एकत्रित हुए और विरोध प्रदर्शन आज भी जारी है। इस बीच पुलिस और आयोग के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से बात करने का प्रयास किया लेकिन दोनो के बीच सहमति नहीं बनी। अभी भी अभ्यर्थी आयोग के दफ्तर के बाहर डटे हैं। अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को आयोग के दफ्तर के आसपास तैनात किया गया है। पूरे इलाके को सुरक्षा के दृष्टिकोण से छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मुख्य मांग है कि यूपी पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए। उनका कहना है कि दो अलग-अलग दिनों में परीक्षा आयोजित करने से नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू होगी। जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके परिणामों पर पड़ेगा। नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में विभिन्न शिफ्टों के बीच प्रश्न पत्र की कठिनाई में भिन्नता को ध्यान में रखते हुए छात्रों के अंक तय किए जाते हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर परीक्षा दो शिफ्टों में होती है तो एक शिफ्ट में प्रश्न आसान और दूसरी शिफ्ट में कठिन हो सकते हैं। इस स्थिति में आयोग नॉर्मलाइजेशन का सहारा लेकर परिणाम तय करेगा। जिससे कुछ अच्छे छात्र प्रभावित हो सकते हैं। उनके मुताबिक इससे न केवल उनके परिणाम पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि भ्रष्टाचार का भी अवसर पैदा होगा।
आयोग ने बताया केंद्रों की कमी को वजह
वहीं यूपी लोक सेवा आयोग का कहना है कि वह अभ्यर्थियों की मांग को समझता है लेकिन उनके पास केंद्रों की कमी है। आयोग का कहना है कि छह लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा एक साथ कराना संभव नहीं है, क्योंकि पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की संख्या उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अभ्यर्थियों का यह तर्क है कि इससे पहले आयोग ने इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा आयोजित की है और इस बार क्यों नहीं किया जा सकता, यह सवाल उठाया जा रहा है।
रातभर बातचीत लेकिन कोई समाधान नहीं
देर रात पुलिस और आयोग के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों से बात करने का प्रयास किया। अधिकारियों का कहना था कि यह बदलाव परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए किया गया है, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके। लेकिन अभ्यर्थियों ने इस तर्क को नकारते हुए अपनी मांग पर अडिग रहने की बात कही। परिणामस्वरूप बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका और आंदोलन का सिलसिला जारी है।
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क्या है नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया?
नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है। जो विभिन्न शिफ्टों में आयोजित परीक्षा के परिणामों में भिन्नता को दूर करने के लिए अपनाई जाती है। इसमें विभिन्न शिफ्टों के प्रश्नपत्रों की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए छात्रों के अंक को संशोधित किया जाता है। हालांकि प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया में कुछ छात्रों को फायदा और कुछ को नुकसान हो सकता है।
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