प्रयागराज में साइबर क्राइम अधिकारी जयप्रकाश सिंह और अनमोल सिंह ने घूरपुर थाना क्षेत्र के एक निजी स्कूल के छात्र छात्राओं को साइबर अपराधों की जानकारी दी। उन्हें उनसे जुड़े साइबर अटैक, डिजिटल अरेस्ट और बचाव के...
Prayagraj News : सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल और मीम जनरेशन अपराध, बच्चों को दी जानकारी...
Oct 01, 2024 15:44
Oct 01, 2024 15:44
- माता-पिता और बच्चों को साइबर अपराधों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
- किसी को नकली प्रोफाइल या अपमानजनक मीम्स मिलते हैं, तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करें।
नकली प्रोफाइल और मजाक या मीम्स अपराध
कई बार स्कूल के बच्चे अपने शिक्षकों की फोटो और नाम का दुरुपयोग करके उनकी नकली फेसबुक या इंस्टाग्राम आईडी बना लेते हैं और उन पर अपमानजनक रील्स बनाते हैं। यह उन्हें मजाकिया लगता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वे एक गंभीर अपराध कर रहे हैं। स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है, जब वे मॉर्फिंग कर किसी की छवि को अश्लील या न्यूड बना देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल भी हो सकती है। नकली प्रोफाइल और मीम्स मजाक नहीं अपराध है। अक्सर बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होता कि जिस काम को वे मज़ाक समझते हैं, वह वास्तव में एक गंभीर अपराध है।
छवि खराब करना अपराध
किसी की नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाना या उसकी छवि को गलत तरीके से पेश करना, जैसे कि न्यूड मॉर्फिंग, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत एक साइबर अपराध है। इस प्रकार के अपराधों के लिए दोषियों को कठोर कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों शामिल हैं। इसमें आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत सजा का प्रावधान है। यह धारा पहचान की चोरी से संबंधित है, जिसमें नकली प्रोफाइल बनाना शामिल है। इसके लिए 3 साल तक की कैद और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
बच्चों को साइबर कानून की जानकारी देना जरूरी
आईटी अधिनियम की धारा 67 अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण करता है, जैसे किसी छवि को अश्लील रूप में मॉर्फ करना, तो उसे पहले अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। बाद में अपराध दोहराने पर सजा 5 साल तक और जुर्माना 10 लाख रुपये तक हो सकता है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 356 मानहानि, जिसमें अपमानजनक मीम्स जैसी सामग्री बनाना शामिल है, के लिए 2 साल तक की कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है। इसे रोकने के लिए शिक्षकों, माता-पिता और समाज का सहयोग जरूरी है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि उनका यह मजाक कानूनी और सामाजिक दृष्टि से कितनी बड़ी समस्या बन सकता है।
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