Prayagraj News : शिद्दत से इबादत में डूबे रोजेदार, नमाज कबूल हो तुम्हारी, बस यही दुआ है अल्लाह से हमारी

शिद्दत से इबादत में डूबे रोजेदार, नमाज कबूल हो तुम्हारी, बस यही दुआ है अल्लाह से हमारी
UPT | रमजान मुबारक

Mar 13, 2024 01:05

रमज़ान रम्ज शब्द से बना है। अरबी में इसका मतलब होता है, जलना। मुमकिन है कि इसका नाम रमज़ान इसलिए रखा गया होगा, क्योंकि अरब में तेज धूप होती है। रोज़े इंसान को अंदर तक तपा...

Mar 13, 2024 01:05

Short Highlights
  • रमजान में झूठ फरेब और धोखे से दूर रहता है इंसान।
  • 30 रोजे़ रखने के बाद ज़कात देने की है रवायत। 
Prayagraj News : रमज़ान रम्ज शब्द से बना है। अरबी में इसका मतलब होता है, जलना। मुमकिन है कि इसका नाम रमज़ान इसलिए रखा गया होगा, क्योंकि अरब में तेज धूप होती है। रोज़े इंसान को अंदर तक तपा देते हैं। कहते हैं रमज़ान में हमारे अंदर के गुनाह जल जाते हैं। रमज़ान या रमदान इस्लामी पंचांग का नौवां महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है। इस माह की विशेषताएं महीनेभर के रोज़े रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढ़ना, कुरान तिलावत करना, एतेकाफ़ बैठना, यानी गांव और लोगों की अभ्युन्नति और कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ करते हुए मौन व्रत रखना, ज़कात देना यानि दान करना होता है।

अल्लाह के दूत थे पैगंबर मोहम्मद  
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। सबसे पहले मक्का-मदीना में कुछ विशेष तारीखों में रोजा रखे जाते हैं। लेकिन, ये रोजा एक महीने नहीं, बल्कि आंशिक रूप से रखे जाते हैं। क्योंकि तब इस्लाम में रोजा फर्ज नहीं था। ऐसे में कोई आशूरा रोजा रखता था तो कोई चंद्र महीने की 13, 14 और 15 तारीख को रोजा रखता था। फिर पैगंबर मोहम्मद के मक्का-मदीना जाने के बाद वर्ष 624 में कुरआन की आयत के जरिए रोजा को फर्ज में शामिल किया गया। इस तरह से रमजान के महीने में रोजा रखना मुसलमानों के लिए अनिवार्य हो गया। बता दें कि पैगंबर मोहम्मद को अल्लाह का दूत माना जाता है।

खरीदारों से गुलजार है बाजार
प्रयागराज के बाजार रमजान के लिए सामान लेने वाले खरीददारों की भीड़ से गुलजार हैं। कोई खजूर खरीद रहा है तो कोई सूतफेनी। किसी को टोपी खरीदनी है तो किसी को सहरी और इफ्तार के सामान। खुदा की इबादत में कोई कोर-कसर न रह जाए, इसके लिए धार्मिक किताबों, जानमाज़ और तस्वीह भी ली जा रही है। इस बार ईरान से आए खजूर की ज्यादा डिमांड है। रमजान के महीने की दस्तक के साथ ही प्रयागराज के पुराने इलाकों में चहल-पहल बढ़ गई है। रोजदारों के मद्देनज़र मस्जिदों में सजावट कर वहां ख़ास इंतजाम किये गए हैं। शाम के वक्त कई जगहों पर लोग सामूहिक इफ्तार (रोज़ा खोलना) करेंगे।
 

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