प्रयागराज के श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में पश्चिम पंघत के नए महंत के रूप में रामनौमी दास का आज विधिवत पट्टाभिषेक किया गया। यह ऐतिहासिक समारोह कीडगंज स्थित अखाड़े में संपन्न हुआ, जिसमें प्रमुख संतों और महंतों ने शिरकत की। इस आयोजन ने न केवल अखाड़े की परंपराओं को सम्मानित किया, बल्कि एक नई आध्यात्मिक दिशा की शुरुआत का प्रतीक भी बना।
Prayagraj News : श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के पश्चिम पंघत के नए महंत बने रामनौमी दास, हुआ पट्टाभिषेक
Dec 16, 2024 13:31
Dec 16, 2024 13:31
- पट्टाभिषेक के लिए सभी 13 प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधि, महंत, ज्ञानी, मुनि, और ध्यानी संत उपस्थित रहे।
- समारोह की शुरुआत विधिवत पूजा-अर्चना और अगहन पूर्णिमा के विशेष पूजन से हुई।
पट्टाभिषेक की विधि और परंपराएं पूरी की गईं
समारोह की शुरुआत विधिवत पूजा-अर्चना और अगहन पूर्णिमा के विशेष पूजन से हुई। इस अवसर पर रामनौमी दास की जटाओं को उत्तर पंघत के श्रीमहंत महेश्वर दास, दक्षिण पंघत के महंत दुर्गा दास, और पूर्व पंघत के महंत अद्वैतानंद द्वारा परंपरागत रूप से बांधा गया। इसके बाद रामनौमी दास को महंत के पद पर विधिवत पदासीन कराया गया।
पट्टाभिषेक से पहले रामनौमी दास को संगम ले जाया गया, जहां उन्होंने त्रिवेणी स्नान किया। इसके बाद अखाड़े में उनका भव्य स्वागत किया गया। नए महंत के सम्मान में अखाड़े के संतों और महंतों ने सामूहिक रूप से आशीर्वाद दिया और पश्चिम पंघत के महंत के रूप में उनकी मान्यता को स्वीकार किया।
रघुमुनि दास का विरोध जारी
वहीं, पूर्व महंत रघुमुनि दास ने इस चयन प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध जारी रखा। उन्होंने कहा कि उन्हें महंत पद से हटाने की प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं है और इसके खिलाफ वे अदालत की शरण लेंगे। उनका दावा है कि उनके पास अदालत से स्थगन आदेश प्राप्त है और वे अभी भी पश्चिम पंघत के महंत बने हुए हैं।
संत समाज का संदेश
मुखिया महंत दुर्गा दास ने इस अवसर पर कहा कि अखाड़े में किसी प्रकार का मतभेद या कलह नहीं है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा अपनी परंपराओं और संपत्ति की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। नए महंत रामनौमी दास की साधना, लगन और अखाड़े के प्रति निष्ठा को देखते हुए सभी संतों ने उन्हें सर्वसम्मति से चुना है। रामनौमी दास के नेतृत्व में पश्चिम पंघत को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है। उनके पट्टाभिषेक के साथ ही उदासीन संप्रदाय के अनुयायियों और संत समाज में हर्ष का माहौल है।
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