प्रयागराज में रावण की भव्य शोभा यात्रा : सांस्कृतिक परंपरा का अनोखा उत्सव, कटरा रामलीला कमेटी का योगदान

सांस्कृतिक परंपरा का अनोखा उत्सव, कटरा रामलीला कमेटी का योगदान
UPT | रावण बरात के लिए तैयार रावण का परिवार

Sep 29, 2024 15:14

देश के दूसरे हिस्सों में भले ही दशहरा उत्सव की शुरुआत भगवान राम की आराधना के साथ होती हो, लेकिन धर्म की नगरी में इसकी शुरुआत रावण पूजा और रावण की बारात से ही होती है।

Sep 29, 2024 15:14

Prayagraj News : प्रयागराज में रावण की शोभा यात्रा, जिसे रावण की बारात के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखी और भव्य परंपरा का हिस्सा है। यह शोभा यात्रा विशेष रूप से शारदीय नवरात्र के दौरान आयोजित की जाती है। यात्रा की शुरुआत मुनि भारद्वाज के मंदिर से होती है, जहाँ पहले रावण की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद रावण हाथी पर सवार होकर अपने बारात के साथ नगर में भ्रमण करते हैं, जिसमें ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजा और राक्षसों का वेष धारण किए हुए उनके गण शामिल होते हैं।

एक किलोमीटर लंबी होती है बारात
प्रयागराज की कटरा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित इस यात्रा में रावण अपने चांदी के सिंघासन पर विराजमान रहते हैं। यह बारात लगभग एक किलोमीटर लंबी होती है और इसके दौरान हजारों रावण भक्त शामिल होते हैं। इस यात्रा का आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी रखता है, क्योंकि यह शहर की एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। यहाँ, रावण को उनकी विद्वता के कारण पूजा जाता है, जो इस बारात को विशेष बनाता है।



रावण के अद्भुत स्वरूप
इस बार रावण के लिए विशेष पोशाक तैयार की गई थी, जिससे उनकी शोभा यात्रा और भी भव्य नजर आई। हाथियों और घोड़ों के साथ-साथ विभिन्न बैंडों ने इस यात्रा की शोभा को बढ़ाया। इस यात्रा को देखने के लिए सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ी, जो रावण के अद्भुत स्वरूप को देखने के लिए उत्सुक थी।

कटरा रामलीला कमेटी का योगदान
रावण की शोभा यात्रा के पीछे एक पुरानी मान्यता भी है। कहा जाता है कि जब भगवान राम रावण का वध कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनका पुष्पक विमान प्रयागराज के भारद्वाज मुनि के आश्रम में रुका था। भगवान राम ने मुनि से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने ब्रह्म हत्या के पाप के कारण मिलने से इनकार कर दिया। इस घटना के बाद, भगवान राम ने रावण से प्रायश्चित के रूप में इस स्थान पर एक लाख बालू के शिव लिंगों की स्थापना की थी। तब से यहाँ रावण की पूजा और उसकी शोभा यात्रा निकालने की परंपरा कायम है। 

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