प्रयागराज महाकुंभ इस बार नारी सशक्तीकरण का साक्षी बनता हुआ नया इतिहास रचने जा रहा है। महाकुम्भ के अंतर्गत आने वाले 13 अखाड़ों में इस बार महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं...
महाकुंभ में नारी सशक्तीकरण का अनूठा प्रयास : पहली बार एक हजार महिलाओं को मिलेगी संन्यास की दीक्षा
Jan 17, 2025 21:52
Jan 17, 2025 21:52
पहली बार एक हजार महिलाओं को दी जाएगी संन्यास की दीक्षा
महाकुम्भ में नारी शक्ति का महत्व बढ़ा प्रयागराज महाकुम्भ के इस बार के आयोजन में विशेष रूप से नारी शक्ति को सम्मानित किया जा रहा है। महिलाएं अब अखाड़ों में दीक्षा लेने के लिए अधिक रुचि दिखा रही हैं। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संतों के अनुसार इस बार अकेले उनके अखाड़े में 200 से अधिक महिलाएं संन्यास दीक्षा लेंगी। पूरे महाकुम्भ के अखाड़ों में यह संख्या 1000 के आंकड़े को पार कर जाएगी। महाकुम्भ के इस ऐतिहासिक आयोजन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है, और इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि नारी को बराबरी का दर्जा मिले।
उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएं भी संन्यास लेने के लिए उत्साहित
उच्च शिक्षित महिलाओं का संन्यास में रुचि महिलाओं की संन्यास दीक्षा में इस बार विशेषत: उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इन्हीं महिलाओं में से एक राधेनंद भारती हैं, जो गुजरात की कालिदास रामटेक यूनिवर्सिटी से संस्कृत में पीएचडी कर रही हैं। राधेनंद ने बताया कि उनके पिता एक व्यापारी थे और घर में सारी सुख-सुविधाएं थीं, लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में उन्होंने घर छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय लिया। राधेनंद पिछले बारह वर्षों से गुरु की सेवा में हैं और अब महाकुम्भ में दीक्षा लेंगी।
जूना अखाड़े ने 'माई बाड़ा' का नाम बदला
जूना अखाड़े ने महिलाओं को दी नई पहचान श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा महिलाओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए नए कदम उठा रहा है। इस बार, जूना अखाड़े की संतों ने अपने संगठन 'माई बाड़ा' का नाम बदलकर 'संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना' रखा है, जिसे महंत हरि गिरि ने स्वीकार कर लिया है। यह कदम न केवल महिलाओं को एक पहचान दिलाने के लिए है, बल्कि यह उनके योगदान को सराहने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।