शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने 40 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश और हरियाणा को NCR इलाकों में पटाखों पर बैन लगाने का निर्देश दिया...
प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त : कहा- यूपी और हरियाणा सरकार भी लगाएं पटाखों पर बैन, 40 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई
Jan 18, 2025 00:15
Jan 18, 2025 00:15
हालांकि, न्यायालय ने पिछली सुनवाई में ही यूपी और हरियाणा राज्यों को NCR इलाकों में पटाखे प्रतिबंध करने का आदेश दिया था। यूपी सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (AAG) गरिमा प्रसाद ने बताया कि प्रदेश ने 17 जनवरी तक सभी प्रकार के पटाखों पर बैन लगाकर न्यायालय के आदेश का पालन किया है।
24 मार्च तक लागू रहेगा पिछला निर्देश
इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि न्यायालय ने अस्थायी प्रतिबंध नहीं लगाया था बल्कि दिल्ली की तरह पटाखों पर स्थायी बैन लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा कि पटाखे बैन करने का कोर्ट का पिछला निर्देश मामले की अगली सुनवाई यानी 24 मार्च तक लागू रहेगा।
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एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 1985 में दायर एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। हालांकि, न्यायालय ने 1985 में दायर एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
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कोर्ट ने क्या कहा....
मामले में पटाखा व्यापारियों के फेडरेशन ने भी इंटरवेंशन ऐप्लीकेशन लगाई है। याचिका पर जस्टिस ओक ने फेडरेशन के अधिवक्ता से कहा कि आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि पटाखे जलाने से प्रदूषण नहीं होता। हालांकि, फेडरेशन की ओर से पेश वकील ने कहा कि पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है, लेकिन इसकी इंटेंसिटी अलग-अलग होती है। कभी-कभी पटाखे काफी अधिक प्रदूषण करते हैं, जबकि कभी-कभी यह न के बराबर होता है। यह मामला मौलिक अधिकारों से जुड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि न्यायालय को ग्रीन पटाखों को बैन से बाहर रखना चाहिए।
फेडरेशन की याचिका पर भी होगी सुनवाई
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र से भी पटाखा बनाने वाली फर्मों की याचिकाओं पर जवाब देने को भी कहा है। मामले की अगली तारीख यानी 24 मार्च को बेंच फेडरेशन की याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर 2024 को कहा था कि कोई भी धर्म प्रदूषण करने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को साफ पर्यावरण के अधिकार के तहत प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना चाहिए।