आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का निर्णय लिया गया...
UPPSC ने की स्केलिंग समाप्त : मुख्य परीक्षा वैकल्पिक विषय हटाए, कहा- अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए लिया फैसला
Nov 12, 2024 20:15
Nov 12, 2024 20:15
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आयोग ने बताया यह कारण
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का निर्णय लिया गया है। इस बदलाव के परिणामस्वरूप मुख्य परीक्षा में सभी परीक्षार्थियों के लिए प्रश्नपत्र समान रूप से अनिवार्य होंगे, जिससे प्रतियोगिता में समान अवसर प्रदान किए गए हैं।
स्केलिंग हटाने की मांग पूरी
आयोग ने यह भी बताया कि प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग के कारण मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक कम हो जाते थे, जबकि विज्ञान विषय और अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते थे। अब वैकल्पिक विषय हटाने से इस शिकायत का समाधान हो गया है। इस बदलाव के साथ-साथ छात्रों की लंबे समय से चल रही स्केलिंग हटाने की मांग पूरी हुई और अपारदर्शी प्रणाली का अंत हुआ।
इन प्रणालियों में बदलाव
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि छात्रों के आग्रह पर पूर्व में लागू स्केलिंग प्रणाली को समाप्त किया गया है और वर्तमान आयोग ने इस व्यवस्था को पारदर्शी बना दिया है। उन्होंने कहा कि पहले पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता था। सुधारों के तहत आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है, जिससे अधिक अभ्यर्थियों को अवसर मिल सके। इसके अतिरिक्त, पूर्व में पीसीएस इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष केवल दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया जाता था। अब इस प्रणाली में भी बदलाव किया गया है और एक पद के सापेक्ष तीन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाया जा रहा है, ताकि चयन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।
नॉर्मलाइजेशन को लेकर कहा...
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग ने नॉर्मलाइजेशन (प्रसामान्यीकरण) का फॉर्मूला पारदर्शी तरीके से प्रतियोगी छात्रों के बीच रखा है। उन्होंने बताया कि जब किसी एक विज्ञापन के तहत एकाधिक दिनों या पालियों में परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, तो परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनाना आवश्यक होता है, जैसा कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों और आयोगों द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया न्यायालय के विभिन्न निर्णयों के आधार पर भी व्याख्यायित है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा के लिए गठित राधाकृष्णन कमेटी ने भी दो पालियों में परीक्षा कराने की अनुशंसा की थी और इसी तरह पुलिस भर्ती परीक्षा भी कई पालियों में कराई जाती है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि पूरी प्रक्रिया में न्यूनतम ह्यूमन इंटरफेरेन्स (मानव हस्तक्षेप) सुनिश्चित किया जा रहा है। सब कुछ सिस्टम-ड्रिवन है और तकनीक का उपयोग करके व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। मूल्यांकन के दौरान, अभ्यर्थियों के रोल नंबर को फेक नंबर में परिवर्तित किया जाएगा, ताकि मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो सके और किसी अभ्यर्थी का असली रोल नंबर पता न चल सके। इस तरीके से नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी। आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि नॉर्मलाइजेशन के संदर्भ में आयोग अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि जो भी अभ्यर्थी इस संदर्भ में कोई सुधार, सुझाव या बेहतर व्यवस्था देना चाहते हैं, वे उन्हें प्रस्तुत कर सकते हैं।
निष्पक्ष एवं पारदर्शी साक्षात्कार के लिए अपानाई गई है संस्थागत प्रकिया
- साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित है, जिसमें अभ्यर्थियों के नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या अनुक्रमांक, श्रेणी को ढक दिया जाता है। इस प्रकार अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत विवरण साक्षात्कार परिषद के समक्ष नहीं रखे जाते।
- हर अभ्यर्थी का एक यूनीक कोड होता है। साथ ही विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार हुए विशेष अव्यवस्थित कोड से अभ्यर्थी को अंतिम समय तक यह नहीं पता लग पाता है कि उसे किस पैनल के सामने उपस्थित होना है।
- साक्षात्कार के माध्यम से चयन हेतु साक्षात्कार परिषद द्विसदस्यीय होती है।
- प्रथम और द्वितीय सत्र में अलग-2 साक्षात्कार परिषदें होती है।
- साक्षात्कार में लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। (6) विशेषज्ञों को साक्षात्कार परिषद में प्रत्येक सत्र के बाद इंटरचेंज किया जाता है।
- अभ्यर्थियों को साक्षात्कार परिषद के समक्ष किये गये परफार्मेंस के आधार पर ग्रेडिंग अंकित की जाती है एवं औसत सिद्धांत के आधार पर अंक प्रदान किये जाते है।
- साक्षात्कारोपरान्त मार्कशीट पर विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षर किये जाते है और उनके समक्ष ही मार्कशीट का लिफाफा सील किया जाता है।
- साक्षात्कार हेतु आहुत विशेषज्ञों की पहचान अत्यंत गोपनीय रखी जाती है।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को पूरी तरह से फूलप्रूफ (खतरे से सुरक्षित) बना दिया गया है। शुचितापूर्ण मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए कॉपियों पर रोल नंबर की जगह एक विशेष कोड दिया जाता है, जिससे परीक्षक को यह पता नहीं चलता कि वह किस अभ्यर्थी की कॉपी जांच रहा है। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता बनी रहती है और किसी प्रकार के पक्षपात की संभावना को समाप्त किया जाता है। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि एक परीक्षक एक दिन में 25 से ज्यादा कॉपियां नहीं जांचेगा, ताकि हर कॉपी का सही तरीके से मूल्यांकन हो सके। प्रत्येक परीक्षक के द्वारा 25 कॉपियों के मूल्यांकन के बाद, एक विशेषज्ञ दूसरे परीक्षक की कॉपियों का क्रॉस-चेक करता है। इसके बाद, मुख्य परीक्षक द्वारा मूल्यांकित कॉपियों की अंतिम जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूल्यांकन त्रुटिरहित और गुणवत्तापूर्ण है। इस प्रणाली से आयोग ने मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और शुचिता सुनिश्चित की है।
वन टाइम रजिस्ट्रेशन की की व्यवस्था
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी चयन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और आसान बनाने के लिए वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) की व्यवस्था लागू की है। इसका मतलब यह है कि एक बार रजिस्ट्रेशन कराने के बाद, अभ्यर्थियों को बार-बार आवेदन करते वक्त अपनी सारी जानकारी भरने की ज़रूरत नहीं होगी। अब तक लगभग 19.5 लाख अभ्यर्थियों ने OTR रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। इस रजिस्ट्रेशन से अभ्यर्थियों को अपनी योग्यता और अनुभव के बारे में केवल एक बार जानकारी भरनी होती है। इसके बाद, वे किसी भी भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए सिर्फ परीक्षा शुल्क जमा कर सकते हैं और कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं भरनी पड़ती।
186 विशेषज्ञों को किया डिबार
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग द्वारा गलत प्रश्नों और उत्तरों के निर्माण पर 186 विशेषज्ञों को आयोग के सभी गोपनीय कार्यों से हमेशा के लिए डिबार (निष्कासित) कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2024 में 44 विशेषज्ञों को गोपनीय कार्य सही तरीके से न करने के कारण डिबार किया गया। इन विशेषज्ञों से संबंधित संस्थाओं को सूचित किया गया और उनकी सूची अन्य आयोगों में भेजी गई, ताकि वे कहीं और नियुक्त न हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग ने गोपनीय और अन्य कार्यों के लिए एक लब्धप्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सूची तैयार की है, जिसे निरंतर अपडेट किया जा रहा है। इसके साथ ही, गोपनीय कार्यों के संदर्भ में इन विशेषज्ञों की जवाबदेही भी तय की गई है, ताकि सभी कार्य पारदर्शी और सही तरीके से किए जाएं।
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