सहारनपुर में गैंगरेप के आरोपी बरी : पीड़िता और गवाह मुकरे, कहा- पुलिस के कहने पर दिए थे गलत बयान, उठे सवाल

पीड़िता और गवाह मुकरे, कहा- पुलिस के कहने पर दिए थे गलत बयान, उठे सवाल
UPT | सहारनपुर में गैंगरेप के आरोपी बरी

Aug 04, 2024 22:08

सहारनपुर कोर्ट ने गैंगरेप के तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। हालांकि, आरोपियों को बेकसूर साबित होने के बावजूद छह महीने तक जेल में रहना पड़ा।

Aug 04, 2024 22:08

Saharanpur News : सहारनपुर कोर्ट ने गैंगरेप के तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। हालांकि, आरोपियों को बेकसूर साबित होने के बावजूद छह महीने तक जेल में रहना पड़ा। मामले में गवाह के रूप में पेश होने वाला नाबालिग और पीड़िता भी अपने बयानों से मुकर गए। मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि नहीं हुई थी। कोर्ट में पीड़िता ने बताया कि उसने दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था और यह नहीं बता सकती कि कैसे लिख दिया गया। उसने कहा कि पुलिस के दबाव और सिखाने पर उसने बयान दिया था।

पीड़िता ने कोर्ट में कहा- पुलिस के दबाव में दिए थे गलत बयान
सहारनपुर की अदालत ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है। पीड़िता ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि उसने दरोगा को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था जैसा कि अदालत में पेश किया गया। पीड़िता ने कहा कि पुलिस के दबाव और सिखाने पर उसने गलत बयान दिया था। उसने अदालत को बताया कि उस रात वह अपने घर में सोई हुई थी और चार-पांच लोगों ने उसे चादर समेत उठा लिया था। हालांकि, आरोपियों ने उसके साथ कोई रेप नहीं किया।

कोर्ट ने बाइज्जत बरी किया आरोपियों को
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो और अपर सत्र न्यायाधीश पिंकू कुमार की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता का चचेरा भाई, जिसने मुकदमा दर्ज कराया था, उसने अपने बयानों से पलटने की बात स्वीकार की है। अदालत ने आदेश दिया कि उसके खिलाफ धारा-344 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। पुलिस को निर्देश दिए गए कि वह आरोपी को 25-25 हजार रुपये के व्यक्तिगत बंधपत्र दाखिल करने के लिए कहे। ये बंधपत्र छह महीने तक प्रभावी रहेंगे।



पुलिस ने पेश नहीं किए ठोस सबूत
बचाव पक्ष के वकील शक्ति सैनी ने कहा कि पुलिस अदालत में ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी। पहले बालिग और नाबालिग के बीच उम्र को लेकर बहस होती रही। मेडिकल परीक्षण में पीड़िता की उम्र 17 साल पाई गई, जबकि मुकदमे में उसकी उम्र 12 साल बताई गई थी। पीड़िता और वादी के बयानों में विरोधाभास पाया गया। पीड़िता ने कहा कि उसने गय्यूर के मकान ले जाने और जंगल में छोड़ने की बात कही थी, लेकिन बाद में उसने अपने बयान से पलट गई। वादी ने भी ऐसी किसी घटना का विरोध किया और कहा कि उसने कोरे कागज पर अंगूठा लगाया था।

मुकदमा दर्ज करने वाला गवाही से मुकरा
19 सितंबर 2018 को थाना चिलकाना में नाबालिग के साथ रेप का मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि जावेद, गय्यूर और जाहिर ने नाबालिग के साथ गैंगरेप किया था। नाबालिग के चाचा के बेटे ने थाने में तहरीर देकर यह आरोप लगाया था कि तीनों आरोपी घर में दीवार फांदकर घुसे और नाबालिग के साथ रेप किया। लेकिन कोर्ट में नाबालिग के चचेरा भाई ने गवाही से पलटते हुए कहा कि उसे किसी ने पीड़िता को उठाकर ले जाते नहीं देखा और न ही रेप होते देखा। उसके अंगूठा लगवाने के लिए किसी ने उसे बिना पढ़े और समझाए कागज पर अंगूठा लगवाया।

पुलिस की जांच में खामियां
पुलिस ने केस की गहराई से जांच नहीं की। पीड़िता के परिजनों ने अभियुक्तों के बचाव में शपथ पत्र दिए और पीड़िता तथा वादी के बयानों में उलटफेर हुआ। पुलिस ने एफआर नहीं लगाई और झगड़े की वजह की जांच भी नहीं की। पुलिस पर आरोप लगे कि उन्होंने 161 के बयान पर दबाव बनाया। इस मामले में न्याय की खोज में पीड़िता और उसके परिजन निराश हैं, जबकि आरोपी बाइज्जत बरी हो गए हैं।

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