मौलाना मदनी का बयान : सुप्रीम कोर्ट का फैसला 'ठंडी हवा का झोंका', एनसीपीसीआर पर उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 'ठंडी हवा का झोंका', एनसीपीसीआर पर उठाए सवाल
UPT | सुप्रीम कोर्ट

Oct 22, 2024 20:45

मौलाना मदनी ने एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने तथ्यों से आंखें मूंद ली हैं। उन्होंने कहा कि प्रियांक कानूनगो एक ओर इस्लामी पुस्तकों के पाठ्यक्रम पर आपत्ति जताते हैं, जो कुछ लोगों के लिए सही हो सकता है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है।

Oct 22, 2024 20:45

Short Highlights
  • मौलाना मदनी ने कहा-मदरसों का शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
  • धार्मिक मदरसे देश के संविधान के अनुसार संचालित होते हैं
Saharanpur News : सहारनपुर में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया अंतरिम आदेश का स्वागत किया है, जिसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा मदरसों की मान्यता रद्द करने और स्वतंत्र मदरसों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के स्कूलों में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। मौलाना मदनी ने इस फैसले को 'ठंडी हवा का झोंका' बताया, जबकि उन्होंने यह भी कहा कि हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।

मौलाना मदनी का एनसीपीसीआर प्रमुख पर पलटवार
मौलाना मदनी ने एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने तथ्यों से आंखें मूंद ली हैं। उन्होंने कहा कि प्रियांक कानूनगो एक ओर इस्लामी पुस्तकों के पाठ्यक्रम पर आपत्ति जताते हैं, जो कुछ लोगों के लिए सही हो सकता है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। अगर वह इस विषय पर संवाद करने के लिए बैठें, तो निश्चित रूप से संतोषजनक निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं, लेकिन उनका रवैया एकतरफा और आक्रामक प्रतीत होता है।


15,000 से अधिक छात्रों को मिल रही आधुनिक शिक्षा
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) से संबद्ध जमीअत स्टडी सेंटर चला रही है, जहां 15,000 से अधिक छात्रों को पारंपरिक धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक विषयों की भी पढ़ाई कराई जा रही है। उनके प्रयासों के तहत ये बच्चे 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं पास कर रहे हैं, फिर भी एनसीपीसीआर के चेयरमैन इन प्रयासों का विरोध कर रहे हैं।

मदरसों का शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने यह उल्लेख किया कि मदरसे न केवल सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में, बल्कि समाज के शैक्षिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि धार्मिक मदरसे देश के संविधान के अनुसार संचालित होते हैं और पिछले पांच सौ वर्षों से इस देश में मदरसा व्यवस्था बनी हुई है। इन मदरसों से उत्तीर्ण छात्रों ने हर युग में देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और इनकी भूमिका स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम रही है।

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