समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर 11 प्रत्याशियों वाली दूसरी सूची जारी कर दी है। बता दें कि इससे पहले सपा ने अपने 16 प्रत्याशियों की घोषणा की थी। बताया तो ये भी जा रहा है, कि मुजफ्फनगर की यह वही सीट है, जो सपा और रालोद गठबंधन के टूटने की...
मुजफ्फरनगर लाेकसभा सीट : हरेंद्र मलिक, जिन्हें सपा ने बीजेपी-आरएलडी के गढ़ से बनाया अपना प्रत्याशी
Feb 19, 2024 18:24
Feb 19, 2024 18:24
पहले ही तय हो चुका था नाम
जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने के बाद अखिलेश यादव ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें मुजफ्फरनगर लोकसभा के प्रभारी हरेंद्र मलिक भी शामिल हुए थे। इसी मीटिंग के दौरान मुजफ्फनगर सीट से सपा द्वारा हरेंद्र मलिक को टिकट देने की बात सामने आई थी। लेकिन, इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी। अब सपा ने कद्दावर जाट नेता के रूप में हरेंद्र मलिक के नाम पर पार्टी की मुहर लगा दी है।
यहां नहीं मिली थी कामयाबी
हरेंद्र सिंह मलिक खतौली और बघरा से विधायक रहे हैं। वहीं, अब इनका बेटा पंकज मलिक वर्तमान में चरथावल से विधायक हैं। हरेंद्र मलिक इससे पहले भी कैराना और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। कांग्रेस छोड़कर विधानसभा चुनाव-2022 से पहले समाजवादी पार्टी का हिस्सा बने थे। उसके बाद उन्होंने अपने बेटे पंकज मलिक को चरथावल से टिकट दिलाकर जीत दर्ज की थी। सपा में वह पश्चिम के जाट नेताओं के तौर पर जाने जाते हैं। सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी ने बताया कि पिछले दिनों लखनऊ में हुई बैठक में ही मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के नाम पर सहमति बन गई थी।
बीडीसी मेंबर से शुरू की राजनीति
पूर्व सांसद और जाटों के कद्दावर नेता हरेंद्र मलिक ने अपनी राजनीति की शुरुआत साल-1982 में बीडीसी के चुनाव से की थी। उनके भाई बघरा के ब्लॉक प्रमुख चुने गए थे। इसके बाद साल-1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने उन्हें खतौली से टिकट दिया तो वह विधायक चुने गए। इसके बाद तीन बार बघरा से विधायक रहे। इंडियन नेशनल लोकदल से वह राज्यसभा सांसद भी रहे। इन्होंने अपने बेटे पंकज मलिक को राजनीति में आगे बढ़ाया। उसके बाद अब वह तीसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले वह शामली और बघरा से एक-एक बार विधायक रहे हैं। हरेंद्र मलिक जिले की राजनीति में सबसे कद्दावर राजनीतिक लोगों में गिने जाते हैं। समाजवादी पार्टी की लिस्ट जारी होने के बाद उनका नाम जैसे ही सामने आया, राजनीति में हलचल मच गई। क्योंकि सपा से दूर हुए जयंत चौधरी के बाद अखिलेश यादव को एक जाट नेता की तलाश थी, जो वेस्ट में जाटों की कमान संभाले।
खतौली से पहली बार बने थे विधायक
हरेंद्र सिंह मलिक पहली बार वर्ष-1985 में लोकदल के टिकट पर खतौली सीट से विधायक चुने गए थे और फिर साल-1989 में जनता दल में शामिल होने के बाद बघरा सीट पर तीन बार विधायक रहे। जाट नेता हरेन्द्र मलिक एक सक्रिय किसान नेता रहे हैं। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर किसानों के हितों का प्रतिनिधित्व भी किया है। उनके बेटे पंकज मलिक साल-2007 से 2017 तक लगातार दो बार उत्तर प्रदेश की 15वीं और 16वीं विधानसभा में बघरा और शामली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। एक बार फिर हरेंद्र सिंह मलिक सुर्खियों में आ गए हैं। उनका नाम सपा की लिस्ट में शामिल है।
किसानों का अपमान भूला नहीं है जाट
हरेंद्र मलिक ने कहा कि आज राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुझे पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का मौका दिया है। इससे पहले पदाधिकारियों ने अखिलेश यादव के सामने चुनाव लड़ने के लिए हरेंद्र मलिक का नाम सुझाया था। हरेंद्र मलिक ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल के साथ नहीं रहने से नुकसान हुआ है, लेकिन अभी चुनाव में वक्त है। हम नाराज लोगों के पास जाएंगे उनसे बात करेंगे और साथ देने की बात कहेंगे। एक सवाल के जवाब में हरेंद्र मलिक ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट अभी किसानों के अपमान को भूला नहीं है। आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों और कुश्ती में जिस तरह से बेटियों का अपमान हुआ है, चौधरी चरण सिंह के सामान को उनके बंगले से बाहर फेंका गया, यह सब जाट नहीं भूला है। इसका बदला जाट जरूर लेगा।
Also Read
23 Nov 2024 05:39 PM
यूपी पुलिस में सिपाही नागरिक पुलिस की लिखित एग्जाम में मुजफ्फरनगर जिले के युवाओं ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। जिले के जड़वड़ कटिया... और पढ़ें