जिम्मेदारियों ने तोड़ा ओलंपिक में जाने का सपना : कभी मैदान में धावक बनकर दौड़ता था यह खिलाड़ी, आज कूड़ा उठाकर भर रहा पेट

कभी मैदान में धावक बनकर दौड़ता था यह खिलाड़ी, आज कूड़ा उठाकर भर रहा पेट
UPT | जिम्मेदारियों ने तोड़ा ओलंपिक में जाने का सपना

Aug 02, 2024 14:51

देश में कई ऐसी भी कहानियां हैं, जिनमें जिम्मेदारियों के बोझ ने ओलंपिक के सपने को तोड़ दिया। सहारनपुर के रहने वाले सतीश कुमार की कहानी उसी में से एक है।

Aug 02, 2024 14:51

Short Highlights
  • जिम्मेदारियों ने तोड़ा ओलंपिक में जाने का सपना
  • कभी मैदान में धावक बनकर दौड़ता था यह खिलाड़ी
  • आज कूड़ा उठाकर भर रहा पेट
Saharanpur News : देश में पेरिस ओलंपिक का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा है। भारत के खिलाड़ी अपने देश का नाम रोशन करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। अब तक भारत की झोली में 3 ब्रॉन्ज मेडल भी आ चुके हैं। लेकिन एक तरफ देश में कई ऐसी भी कहानियां हैं, जिनमें जिम्मेदारियों के बोझ ने ओलंपिक के सपने को तोड़ दिया। सहारनपुर के रहने वाले सतीश कुमार की कहानी उसी में से एक है।

1987 से ले रहे दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा
सतीश कुमार भैरमऊ के गांव नकुड़ के निवासी हैं। उन्होंने 1987 से विभिन्न दौड़ प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपने जीवन में ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का सपना देखा था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक तंगी ने उन्हें खेल से दूर कर दिया। इसके बावजूद, उनके खेल के प्रति जुनून ने उन्हें वेटरन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। पिछले वर्ष बंगलूरू में आयोजित राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिता में उन्होंने छठा स्थान प्राप्त किया। उनका खेल के प्रति समर्पण और जुनून आज भी कायम है।

जिम्मेदारियों ने कर दिया खेल से दूर
सतीश कुमार ने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन जीवन की चुनौतियों ने उनके रास्ते को बदल दिया। उनकी शादी जल्दी हो गई और तीन बेटियों की जिम्मेदारी ने उन्हें रोजी-रोटी की जद्दोजहद में डाल दिया। आर्थिक तंगी और पारिवारिक जरूरतों के कारण सतीश को खेल को छोड़ना पड़ा और वे विभिन्न कामों में व्यस्त हो गए। आज वे एक स्टेडियम में अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन उनका खेल के प्रति प्रेम अब भी जिंदा है। सतीश कुमार ने अपनी मेहनत और लगन से खेल अधिकारियों का सम्मान प्राप्त किया है। खेल अधिकारी अनिमेष सक्सेना का कहना है कि सतीश ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभाया है। जब से पता चला कि वह राष्ट्रीय स्तर के धावक हैं, उनकी इज्जत और भी बढ़ गई है। हालांकि वह अपने ओलंपिक सपने को पूरा नहीं कर सके, लेकिन विभाग की सहानुभूति और समर्थन उनके साथ है।

भारत को अब तक मिले 3 मेडल
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को अब तक 3 मेडल मिल चुके हैं। मनु भाकर, सरबजोत सिंह और स्वप्निल कुसाले ने शूटिंग में भारत को तीन मेडल जिताए हैं। लेकिन वहीं भारत को कई झटके भी लगे हैं।  सात्विक साईराज रेंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी बैडमिंटन डबल्स के क्वार्टर फाइनल में हार गई। पीवी सिंधू भी अपने राउंड 16 के मैच में हारकर बाहर हो गईं। लक्ष्य सेन ने क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है। उनका मुकाबला अब ताइपे के खिलाड़ी से होगा। पीएम मोदी ने मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को बधाई दी है।

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