सहारनपुर के इंटर कॉलेज में एक छात्र के साथ जातिसूचक शब्दों के प्रयोग और घर का काम कराने का मामला सामने आया है। छात्र ने आरोप लगाया कि टीचर ने उसे और अन्य बच्चों को घर बुलाकर काम कराया। विरोध के बाद भीम आर्मी ने कॉलेज में प्रदर्शन किया।
टीचर पर दलित छात्र से दुर्व्यवहार व घर का काम कराने का आरोप : सहारनपुर में भीम आर्मी कार्यकर्ताओं का स्कूल परिसर में हंगामा
Dec 18, 2024 15:34
Dec 18, 2024 15:34
छात्र का आरोप
छात्र का कहना है कि मंगलवार को टीचर ने उसे और कुछ अन्य बच्चों को अपने घर बुलाया और वहां उनसे घर के स्टोर में रखा सामान निकलवाया। छात्र ने किसी तरह बहाना बनाकर काम अधूरा छोड़कर वहां से निकलने की कोशिश की। अगले दिन, बुधवार को जब वह स्कूल पहुंचा, तो टीचर ने उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। छात्र ने यह भी आरोप लगाया कि टीचर ने कहा, "तुम दलित हो, तुम्हारा यही काम है, तुम्हें यही करना है।" इसके साथ ही प्रैक्टिकल के नंबर काटने की धमकी भी दी गई।
भीम आर्मी का विरोध और पुराना मामला
इस घटना की जानकारी मिलने पर भीम आर्मी के कार्यकर्ता कॉलेज पहुंचे और आरोपी टीचर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। भीम आर्मी के कार्यकर्ता सागर गौतम ने कहा, "यह कोई पहली बार नहीं है। 2017 में भी इसी टीचर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी, जब एक छात्रा ने तंग आकर आत्महत्या कर ली थी।" उन्होंने स्कूल प्रशासन और जिला प्रशासन से मांग की कि आरोपी टीचर को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
पुलिस की जांच जारी
हंगामे के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और छात्र द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच के लिए स्कूल प्रशासन और अन्य छात्रों से पूछताछ कर रही है।
स्कूल प्रशासन ने कहा
स्कूल प्रशासन ने घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि टीचर दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जातिगत भेदभाव और शिक्षा का अधिकार
यह मामला न केवल एक छात्र के साथ दुर्व्यवहार का है, बल्कि यह जातिगत भेदभाव की जड़ें उजागर करता है, जो आज भी समाज के एक बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही हैं। खासतौर पर स्कूल जैसी जगह पर, जहां शिक्षा का उद्देश्य समानता और भाईचारे को बढ़ावा देना है, ऐसे मामलों का सामने आना बेहद चिंताजनक है। भीम आर्मी द्वारा उठाए गए इस मुद्दे ने प्रशासन और समाज को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम वाकई एक समान और समावेशी समाज की ओर बढ़ रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के अगले कदम इस मामले में अहम भूमिका निभाएंगे।
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