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पूजा स्थल पर चंदन से 12 सीधी और 12 आड़ी रेखाएं खींचकर व्यास-पीठ बना लें। इसके बाद गुरु पूजा का संकल्प लें और दसों दिशाओं में चावल छोड़ें। और पढ़ें
सूर्य अधिकतम उत्तरायण हो कर देवताओं व सप्त ऋषियों की उत्तर दिशा के निकटतम होते हैं तथा माघ मास में दक्षिणायन हो कर पितरों एवं यम की दक्षिण दिशा के निकटतम होते हैं और दोनों प्रकट नवरात्र चैत्र व आश्विन माह में सूर्य ठीक पूर्व से उदित होते हैं।और पढ़ें
अक्षय तृतीया में की गई आध्यात्मिक पूजा, दान और पुण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है। अक्षय तृतीया पर शुभ मुहूर्त में नए सामान की खरीद शुभ मानी जाती है। अक्षय तृतीया को मंगलकारी...और पढ़ें