अर्थ गंगा प्रोजेक्ट पर संकट : महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा परियोजना हुई बंद, हजारों लोगों पर पड़ेगा असर

महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा परियोजना हुई बंद, हजारों लोगों पर पड़ेगा असर
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Aug 27, 2024 12:04

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) द्वारा संचालित महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा के अचानक बंद होने के निर्णय ने गंगा बेसिन में चल रहे महत्वाकांक्षी अर्थ गंगा प्रोजेक्ट को गंभीर संकट में डाल...

Aug 27, 2024 12:04

Varanasi News : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) द्वारा संचालित महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा के अचानक बंद होने के निर्णय ने गंगा बेसिन में चल रहे महत्वाकांक्षी अर्थ गंगा प्रोजेक्ट को गंभीर संकट में डाल दिया है। यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल थी। जिसका उद्देश्य गंगा बेसिन के किसानों, मल्लाहों और युवाओं को रोजगार से जोड़ना था। बीएचयू प्रशासन के इस अचानक फैसले से 700 प्रशिक्षित गंगा मित्रों और उनके 30 हजार सहयोगियों का भविष्य अनिश्चितता में डाल दिया गया है।

जानिए क्या है महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा
महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा ने 2016 से 2020 तक चार वर्षों में 700 गंगा मित्रों की एक अनुभवी टीम तैयार की थी। इन गंगा मित्रों के प्रशिक्षण पर विश्वविद्यालय ने एक करोड़ रुपये खर्च किए थे। यह प्रशिक्षित टीम 2021 से गंगा बेसिन में जल संरक्षण के कार्य में लगी थी और उन्होंने 30 हजार लोगों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा था। गंगा मित्रों की टीम प्रयागराज से बलिया तक गंगा संरक्षण कार्य में सक्रिय थी। इस दौरान, 90 लाख रुपये की लागत से प्रयागराज से बलिया के बीच 21 किलोमीटर के क्षेत्र में गंगा जागरूकता शोध केंद्र स्थापित किए गए थे। गंगा मित्रों ने 650 से अधिक गंगा ग्राम और सौ गंगा वार्डों का चयन कर 15 हजार जल संरक्षण समितियों और 15 हजार जल संरक्षक सदस्यों की स्थापना की थी। 

अर्थ गंगा प्रोजेक्ट और क्या है उसकी महत्वता
अर्थ गंगा प्रोजेक्ट का उद्देश्य गंगा नदी के दोनों किनारों पर पांच किलोमीटर के क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को संवर्धित करना था। इस प्रोजेक्ट के तहत गंगा बेसिन में रोजगार और विकास के नए अवसर सृजित करने का लक्ष्य था। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) ने गंगा बेसिन के लिए अर्थ गंगा का पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर भेजा था, जिसे प्रभावी रूप से लागू करने की योजना थी।

बीएचयू के निर्णय का प्रभाव और संभावित कारण
बीएचयू के महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा को बंद करने के आदेश 24 अगस्त को सहायक कुलसचिव विकास डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी किए गए थे। विश्वविद्यालय ने इस फैसले की कोई विशेष वजह नहीं दी है, लेकिन एनएमसीजी से फंड न मिलने को भी एक संभावित कारण माना जा रहा है। एनएमसीजी को गंगा शोध केंद्र को प्रदान किए जाने वाले एक करोड़ रुपये के फंड की मंजूरी भी लटक गई है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान की प्रोफेसर कविता शाह को इस केंद्र का कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया था। हालांकि, उनके सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय में कुलपति बनने के बाद से नए कोऑर्डिनेटर की मांग उठ रही थी, जिससे प्रबंधन में भी अस्थिरता आई है।

पूर्व चेयरमैन बोले
महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा के पूर्व चेयरमैन प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि बंद होने की पूर्व में कोई जानकारी नहीं थी। विश्वविद्यालय का पत्र मिलने के बाद पता चला। केंद्र बंद होने से गंगा के लिए होने वाले शोध व कार्य बंद नहीं होंगे।

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