काशी के आठ घाटों का होगा कायाकल्प : हरियाली, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का होगा समावेश

हरियाली, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का होगा समावेश
UPT | काशी के आठ घाटों का होगा कायाकल्प

Aug 04, 2024 18:31

यह महत्वाकांक्षी परियोजना पिरामल ग्रुप द्वारा अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य काशी की...

Aug 04, 2024 18:31

Short Highlights
  • काशी के आठ प्राचीन घाटों का आधुनिकीकरण होगा
  • पहले चरण में छह घाटों का निर्माण कार्य चल रहा है
  • शक्का बाबा मंदिर के पास एक हॉल का निर्माण किया जा रहा है
Varanasi News : काशी के ओंकालेश्वर खंड में स्थित आठ प्राचीन घाटों का पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण किया जा रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना पिरामल ग्रुप द्वारा अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य काशी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक सुविधाओं का समावेश करना है।

आठ घाटों का होगा पुनर्विकास
इस परियोजना के तहत पंचअग्नि घाट से राम घाट तक कुल आठ घाटों का पुनर्विकास किया जाएगा। इनमें प्रह्लाद घाट, नया घाट, रानी घाट, तेलिया घाट, शक्का घाट और लाल घाट शामिल हैं। पहले चरण में छह घाटों का निर्माण कार्य चल रहा है, जबकि दूसरे चरण में लाल और राम घाट का निर्माण होगा। परियोजना की कुल लागत लगभग 25 करोड़ रुपये है और इसे इस वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।



घाटों पर मिलेंगी कई सुविधाएं
इन घाटों पर कई आधुनिक सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। नया घाट पर 6000 वर्ग फुट और तेलिया घाट पर 4000 वर्ग फुट में एंफीथिएटर बनाए जाएंगे, जिनमें 400-500 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। तेलिया घाट पर एक बास्केटबॉल कोर्ट और शक्का घाट पर एक पारंपरिक अखाड़ा बनाया जाएगा। सुरक्षा के मद्देनजर नया घाट पर एक पुलिस चौकी भी स्थापित की जाएगी। इसके अलावा, चार चेंजिंग रूम और शौचालय भी बनाए जा रहे हैं। सभी घाटों पर बैठने के लिए पत्थर की आकर्षक छतरियां होंगी, जिन पर लाइट की व्यवस्था की जाएगी।

मांगलिक कार्यों के लिए बनेगा हॉल
स्थानीय समुदाय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, शक्का बाबा मंदिर के पास एक बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण किया जा रहा है। यह हॉल विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकेगा और इसमें 200 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता होगी। यह सुविधा घाट के किनारे रहने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगी, जो अक्सर महंगे लॉन किराए पर लेने में असमर्थ होते हैं।

मियावाकी पद्धति से लगाए जाएंगे पौधे
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए, इन घाटों पर मियावाकी पद्धति से 8000 पौधे लगाए जाएंगे। इनमें पीपल, बरगद और नीम जैसे छायादार वृक्षों के साथ-साथ अमलतास, कचनार, गुलमोहर, केसिया, कामनी और चांदनी जैसे सुंदर फूलों वाले पौधे भी शामिल होंगे। यह न केवल घाटों की सौंदर्यता बढ़ाएगा बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी लाभान्वित करेगा।

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70 प्रतिशत काम पूरा
घाटों के निर्माण में चुनार के प्रसिद्ध गुलाबी पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। ये पत्थर न केवल सुंदर हैं बल्कि गर्मी के मौसम में ठंडक भी प्रदान करते हैं। राजस्थान के कुशल कारीगर इन पत्थरों पर नक्काशी कर घाटों की सीढ़ियों का निर्माण कर रहे हैं। यह निर्माण लगभग 500 वर्षों तक टिकाऊ रहने की उम्मीद है। पिरामल ग्रुप के निदेशक हरेंदर सिक्का के अनुसार, परियोजना का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और बाकी काम मानसून के बाद पूरा किया जाएगा।

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