शहर से निकलने वाले सीवर को पूरी तरह से रोकने और उसके शोधन की योजना दिसंबर 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है। हालांकि, तब तक गंगा में नालों से गिरने वाले पानी को अस्थायी उपचार...
वाराणसी में गंगा स्वच्छता अभियान : 2025 तक पूरा होगा सीवर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट, अंतरिम उपायों से की जा रही नदी की सफाई
Jul 20, 2024 11:30
Jul 20, 2024 11:30
- सीवर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट 2025 तक पूरा होगा
- शहर से प्रतिदिन लगभग 520 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवर निकल रहा है
- एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है
हर दिन निकल रहा 520 मिलियन लीटर सीवर
वर्तमान में, शहर से प्रतिदिन लगभग 520 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवर निकल रहा है, जबकि जल निगम के पास मौजूदा सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से केवल 420 एमएलडी सीवर के शोधन की क्षमता है। इस अंतर के कारण, असि, नगवां और सूजाबाद के नालों के माध्यम से अतिरिक्त सीवर गंगा में प्रवेश कर रहा है।
जल निगम का दावा है कि गंगा में प्रवेश करने वाले सीवर को अस्थायी उपचार प्रणालियों द्वारा शोधित किया जा रहा है। साथ ही, पंपिंग स्टेशनों पर बाईपास पाइपों से गिरने वाले पानी को वर्षा जल माना जा रहा है, न कि सीवर। फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि कई स्थानों पर टूटे हुए चैंबर और पाइपलाइनों के कारण सीवर ओवरफ्लो होकर गंगा में पहुंच रहा है।
नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन
इस समस्या से निपटने के लिए, भगवानपुर में 55 एमएलडी क्षमता का एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है। साथ ही, नगवां और अस्सी से गिरने वाले गंदे पानी को नियंत्रित करने के लिए बायोरेमेडिएशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में, जियोबैग नामक एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, जो फीकल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया की संख्या को कम करता है।
जियोबैग तकनीक से मिल रही राहत
जियोबैग तकनीक के उपयोग से, शोधन से पहले प्रति 100 मिलीलीटर में मौजूद लगभग दो लाख एमपीएन (मोस्ट प्रॉबेबल नंबर) फीकल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया की संख्या शोधन के बाद 230 एमपीएन तक कम हो जाती है। इसी तरह, जल के बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) स्तर में भी उल्लेखनीय कमी आती है, जो शोधन से पहले 120 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर शोधन के बाद लगभग 30 मिलीग्राम प्रति लीटर हो जाता है।
2025 तक पूरा होगा काम
जल निगम के अधिशासी अभियंता आशीष कुमार सिंह के अनुसार, दिसंबर 2025 तक गंगा में गिर रहे सीवर को पूरी तरह से रोकने के लिए सभी आवश्यक एसटीपी का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। तब तक, वर्तमान में तीन प्रमुख नालों से गंगा में प्रवेश कर रहे पानी को अस्थायी उपचार प्रणालियों द्वारा शोधित किया जा रहा है।
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