51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ : यज्ञ में शामिल होने उमड़े श्रद्धालु, कई बच्चों को दी गई विद्यारंभ संस्कार की दीक्षा 

यज्ञ में शामिल होने उमड़े श्रद्धालु, कई बच्चों को दी गई विद्यारंभ संस्कार की दीक्षा 
UPT | गायत्री यज्ञ में मंचासीन संत व अन्य।

Jan 08, 2025 19:36

श्री चित्रगुप्त मंदिर में 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के चौथे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। प्रात: 8:00 बजे से ही श्रद्धालु यज्ञ में भाग लेने पहुंचे। यज्ञ में पारंपरिक वेशभूषा में पति-पत्नी ने वैदिक मंत्रोच्चार से षट्कर्म किया। महायज्ञ के दौरान विद्यारंभ, पुंसवन, मुंडन और दीक्षा संस्कार कराए गए।

Jan 08, 2025 19:36

Ghazipur News : गाजीपुर नगर स्थित श्री चित्रगुप्त मंदिर में चल रहे 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के चौथे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। प्रातः 8:00 बजे से ही श्रद्धालु यज्ञ में शामिल होने के लिए उमड़ पड़े। यज्ञ के सभी कुंडों पर पति-पत्नी ने मुख्य यजमान के रूप में पारंपरिक वेशभूषा—धोती-कुर्ता और साड़ी—धारण कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ षट्कर्म संपन्न किया।



संस्कारों का विशेष आयोजन
महायज्ञ के दौरान निशुल्क संस्कार आयोजित किए गए। कई बच्चों का विद्यारंभ संस्कार कराया गया, जबकि माता के गर्भ में पल रहे शिशुओं का पुंसवन संस्कार संपन्न हुआ। 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों का मुंडन संस्कार और 18 वर्ष से अधिक आयु के विवाहित जोड़ों का दीक्षा संस्कार भी किया गया। इन संस्कारों ने यज्ञ के आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ा दिया।

गायत्री और यज्ञ का विशेष महत्व
शांतिकुंज हरिद्वार से आए केंद्रीय टोली नायक राजकुमार भृगु ने यज्ञ और गायत्री की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, गायत्री को माता और यज्ञ को पिता माना गया है। इन दोनों के संयोग से मनुष्य का द्विजत्व (दूसरा जन्म) होता है। धर्मग्रंथों में यज्ञ की महिमा का वर्णन किया गया है। वेदों में यज्ञ को प्रधान विषय बताया गया है, क्योंकि यह मानव जीवन को भौतिक और आध्यात्मिक रूप से कल्याणकारी बनाता है। यज्ञ में किया गया धन, सामग्री और श्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। यह देवताओं के बैंक में जमा होता है और उचित समय पर संतोषजनक ब्याज के साथ लौटता है। 

यज्ञ के सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ
पूर्वकाल में यज्ञ से मनोवांछित वर्षा, युद्ध में विजय और आत्म साक्षात्कार जैसे उद्देश्य पूर्ण होते थे। राजकुमार भृगु ने इस पर जोर दिया कि आज हर व्यक्ति को यज्ञ से जुड़ने की आवश्यकता है।

शास्त्रोक्त विधान और यज्ञ का प्रभाव
कार्यक्रम के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी सुरेंद्र सिंह ने यज्ञ का अर्थ समझाते हुए कहा, "यज्ञ का अर्थ दान, एकता और उपासना से है। जब शक्तिशाली मंत्रों के साथ विधिपूर्वक बनाए गए कुंडों में समिधाएं और सामग्रियां अर्पित की जाती हैं, तो उनका दिव्य प्रभाव आकाश मंडल में फैलता है। इससे समाज में प्रेम, सहयोग, ईमानदारी, सद्भाव, संयम और सदाचार का संचार होता है।"

कार्यक्रम का समापन और सहयोग
यज्ञ के बाद श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम की सफलता में प्रज्ञा मंडल, महिला मंडल, युवा मंडल और दिया के सदस्यों का विशेष योगदान रहा, 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ ने न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया, बल्कि समाज में सद्भाव और एकता को भी प्रोत्साहित किया। श्रद्धालुओं ने यज्ञ में हिस्सा लेकर आहुतियां अर्पित कीं और प्रसाद ग्रहण कर विदाई ली। 

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