Afzal Ansari : तीन दिन पहले दिल्ली गए थे अफजाल अंसारी, लेकिन नहीं ले पाएंगे सांसद की शपथ... जानें वजह

तीन दिन पहले दिल्ली गए थे अफजाल अंसारी, लेकिन नहीं ले पाएंगे सांसद की शपथ... जानें वजह
UPT | Afzal Ansari

Jun 26, 2024 07:22

लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया कि नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह भी लोकसभा की कार्यवाही का ही एक अभिन्न अंग है। इसलिए, न्यायालय के आदेश के अनुपालन में, अफजाल अंसारी को शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

Jun 26, 2024 07:22

Ghazipur News : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से निर्वाचित लोकसभा सांसद अफजाल अंसारी को मंगलवार को संसद में शपथ लेने से वंचित रहना पड़ा। यह निर्णय न्यायालय के पूर्व आदेश का हवाला देते हुए लिया गया। लोकसभा सचिवालय ने स्पष्ट किया कि नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह भी लोकसभा की कार्यवाही का ही एक अभिन्न अंग है। इसलिए, न्यायालय के आदेश के अनुपालन में, अफजाल अंसारी को शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिसके बाद अफजाल अंसारी ने इस मुद्दे पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है। 

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संसद भवन भी पहुंचे थे अफजाल अंसारी
दिन के दौरान, जब उत्तर प्रदेश के अन्य सांसदों को शपथ दिलाई जा रही थी, अफजाल अंसारी भी संसद भवन पहुंचे। वहां उन्होंने अपने साथी सांसदों से मुलाकात की और कुछ समय के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ बैठकर चर्चा भी की। हालांकि, जब यूपी के अंतिम सांसद, रॉबर्ट्सगंज के छोटेलाल को शपथ दिलाई जाने वाली थी, उससे पहले ही अफजाल सदन से बाहर चले गए।



इस वजह शपथ लेने से रोका गया
सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल 14 दिसंबर के फैसले में निहित है। उस दिन, अदालत ने अफजाल अंसारी को गैंगस्टर मामले में मिली सजा पर तो रोक लगा दी थी, लेकिन साथ ही कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी रखी थीं। न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि जब तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय अफजाल अंसारी की अपील पर अंतिम निर्णय नहीं लेता, तब तक वे न तो संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं और न ही किसी मुद्दे पर मतदान कर सकते हैं। जिसके चलते लोकसभा सचिवालय ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में, अफजाल अंसारी को शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने की अनुमति नहीं दी

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एक ओर न्यायिक प्रक्रिया तो दूसरी ओर अधिकार
यह स्थिति न केवल अफजाल अंसारी के लिए, बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए भी एक असामान्य परिस्थिति उत्पन्न करती है। एक ओर जहां न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर एक निर्वाचित प्रतिनिधि के अधिकारों और कर्तव्यों का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है। यह स्थिति भारतीय लोकतंत्र के सामने एक नई चुनौती प्रस्तुत करती है, जिसका समाधान आने वाले दिनों में न्यायपालिका और विधायिका को मिलकर खोजना होगा।

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