मान्यता है कि इसी दिन भगीरथ जी के पीछे-पीछे चलती हुई गंगा नदी कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में जाकर मिली थी। इस वजह से इस दिन को शुभ मानकर लोग गंगा स्नान कर दान देते हैं। इसे नई फसल की शुरुआत भी माना जाता है।
आस्था का पर्व : मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी, किया दान-पुण्य
Jan 15, 2024 18:27
Jan 15, 2024 18:27
मकर संक्रांति के ही दिन हुआ था गंगा नदी का अवतरण
मान्यता है कि इसी दिन भगीरथ जी के पीछे-पीछे चलती हुई गंगा नदी कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में जाकर मिली थी। इस वजह से इस दिन को शुभ मानकर लोग गंगा स्नान कर दान देते हैं। इसे नई फसल की शुरुआत भी माना जाता है। मौनी बाबा के महंत सत्यानंद यति ने बताया कि पवित्र नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अन्न का दान करके तिल, गुड़, रेवड़ी व खिचड़ी का सेवन करना चाहिए। मकर संक्रांति को पोंगल, माघी, उत्तरायणी, खिचड़ी के नाम से संबोधित किया जाता है। आसमान में पतंगबाजी कर लोग सूर्य देवता का आभार भी जताते हैं। कुछ प्रदेशों में महिलाएं नए वस्त्र धारण कर परिजनों के साथ इस त्योहार को मनाती हैं।
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मकर संक्रांति के अवसर पर जौनपुर में खिचड़ी भंडारा आयोजित किया गया। नरेंद्र मोदी विचार मंच के जिला अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस आयोजन में 500 से अधिक लोगों ने खिचड़ी का आनंद लिया और सामूहिक भोज के माध्यम से भाईचारे और एकता का संदेश दिया। और पढ़ें