साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के तहत रविवार को महाकवि कामेश्वर द्विवेदी के पीर नगर-स्थित आवास पर एक सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी...
Ghazipur News : साहित्य चेतना समाज ने कराया काव्य गोष्ठी का आयोजन
Sep 01, 2024 18:37
Sep 01, 2024 18:37
Ghazipur News : साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के तहत रविवार को महाकवि कामेश्वर द्विवेदी के पीर नगर-स्थित आवास पर एक सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता अवकाश-प्राप्त अध्यापक अवधेश दूबे एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ अक्षय पाण्डेय ने की। कार्यक्रम में आए कविगणों का कामेश्वर द्विवेदी ने स्वागत किया।
चेतना प्रवाह के उद्देश्य पर डाला प्रकाश
कार्यक्रम में साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने चेतना प्रवाह के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चेतना-प्रवाह की पुनीत यात्रा अविराम चल रही है और चलती रहेगी। समाज में इसका सुफल दृष्टिगोचर होने लगा है। लोगों में सद्साहित्य के प्रति पवित्र अभिरुचि जागृत होने लगी है। आज लोग स्वयं अपने आवास एवं संस्थानों पर चेतना-प्रवाह कार्यक्रम के लिए आग्रह कर रहे हैं। साहित्य के प्रति यही जन-अभिरुचि, यही जन-जागरण चेतना-प्रवाह का उद्देश्य है।
कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। युवा व्यंग्य-कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता सुनाकर श्रोताओं को सोचने के लिए मजबूर किया। इसी क्रम में संस्था के संस्थापक एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार अमरनाथ तिवारी अमर ने अपनी चर्चित कविता आगे बढ़ते उत्साही को, कब रोक सकीं दुर्गम राहें, मंज़िल ख़ुद उसे बुलाती है, फैला करके दोनों बाहें सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। युवा नवगीतकार डॉ अक्षय पाण्डेय ने रचनाकारों के दायित्व-बोध को केंद्र में रखते हुए अपना नवगीत सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए ताली बजाने के लिए विवश कर दिया।
यह लोग रहे मौजूद
महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने मानवता को अनुशंसित करने वाली अपनी छांदस कविता "प्रेम और स्नेह पाये टूटने न बन्धुवर, तोड़ना ही है तो घृणा की दीवार तोड़िए, बांटना ही है तो दुख-दर्द को ही बांट लेवें, बांटे न दिलों को इन्हें आपस में जोड़िए" सुनाकर प्रशंसा अर्जित की। इस सरस काव्यगोष्ठी में श्रोता के रूप में प्रमुख रूप से संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी, राघवेन्द्र ओझा, अधिवक्ता सुनील कुमार दूबे, मिथिलेश कुमार, आलोकमणि, राजकमल, अंजलि, प्रांजल, प्रगति, कामिनी, आस्था, अर्णव, श्यामदेव यादव, उमापति यादव, रामबली चौहान आदि उपस्थित रहे।
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