हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला : केवल लंबी दूरी तलाक का पर्याप्त कारण नहीं

केवल लंबी दूरी तलाक का पर्याप्त कारण नहीं
UPT | हाई कोर्ट

Jul 09, 2024 13:42

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग रहना तलाक का एकमात्र आधार नहीं हो सकता । न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने यह निर्णय लिया।

Jul 09, 2024 13:42

Varanasi news : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग रहना तलाक का एकमात्र आधार नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने यह निर्णय लिया। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि तलाक के लिए केवल लंबी दूरी कारण नहीं हो सकती, बल्कि अन्य परिस्थितियों और कारकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

ये है पूरा मामला
यह मामला वाराणसी के एक व्यक्ति महेंद्र कुमार सिंह से संबंधित था, जिनकी शादी 1999 में हुई थी। विवाह के बाद दंपति के दो बच्चे हुए, जो अब वयस्क हो चुके हैं। शुरुआत में, वे पति के माता-पिता के साथ वाराणसी में रहते थे। हालांकि, परिस्थितियों ने उन्हें अलग रहने पर मजबूर कर दिया। महेंद्र कुमार सिंह को पिता की मृत्यु के बाद पिता की जगह उन्हें मिर्जापुर के अनुकंपा में नियुक्ति मिल गई। जिसके कारण उन्हें वहां जाना पड़ा। इस बीच, उनकी पत्नी ने महेंद्र की मां की देखभाल की, जो बाद में उनके पक्ष में वसीयत कर गईं। महेंद्र कुमार सिंह ने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक की याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि उनकी पत्नी ने उन्हें माता-पिता से मिलने से रोका और यहां तक कि मां के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होने दिया। हालांकि, परिवार न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

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इस वजह से कोर्ट ने खारिज किया तर्क
महेंद्र के वकील ने तर्क दिया कि दोनों 1999 से अलग-अलग रह रहे थे, इसलिए विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और तलाक अर्जी स्वीकार की जानी चाहिए। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि क्रूरता के आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत या घटनाओं का विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि ट्रायल कोर्ट का यह निष्कर्ष सही था कि अपीलकर्ता नौकरी के कारण घर से दूर गया था, जबकि उसकी पत्नी ने सास की देखभाल की। यह पत्नी की विवाह के प्रति निष्ठा और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि तलाक देने के लिए केवल लंबे समय तक अलग रहने की स्थिति पर्याप्त नहीं है। अदालत ने जोर देकर कहा कि वैवाहिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद पति-पत्नी के बीच संबंध बने रह सकते हैं।

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