उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला इन दिनों चर्चा में आ गया है। जौनपुर जिले के देहरी गांव में 60 से 70 मुस्लिम परिवार हैं जो अपने नाम के साथ हिंदू उपनाम का इस्तेमाल कर रहे हैं...
चर्चा में यूपी का जौनपुर जिला : अपने पूर्वजों को हिंदू बताते हैं यहां के मुसलमान, जानिए देहरी गांव के मुस्लिम परिवारों की अनोखी कहानी
Dec 11, 2024 14:08
Dec 11, 2024 14:08
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मुस्लिम परिवार ने अपनाया हिंदू उपनाम
जौनपुर जिले के देहरी गांव में कई मुस्लिम परिवार अपने नाम के साथ हिंदू उपनाम का इस्तेमाल करते हैं। कुछ ने अपने नाम में शुक्ला, दुबे और तिवारी जैसे टाइटल जोड़े हैं। इनमें से एक व्यक्ति नौशाद अहमद हैं, जो मुस्लिम होते हुए भी अपने नाम के अंत में दुबे जोड़ते हैं और अब वह नौशाद अहमद दुबे के नाम से जाने जाते हैं। गांववाले उन्हें 'दुबे जी' कहकर बुलाते हैं। नौशाद अहमद का कहना है कि बचपन से ही उन्हें यह महसूस होता था कि उनका कास्ट जैसे शेख, पठान या सैयद उनके अपने नहीं थे, बल्कि ये उधार में लिए गए टाइटल्स हैं। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज आजमगढ़ से यहां आए थे और उनके परिवार के असली वंश की पहचान हिंदू टाइटल्स से जुड़ी हुई है। नौशाद ने यह भी कहा कि शेख, मिर्जा और खान जैसे टाइटल्स अरबी, तुर्की और मंगोल साम्राज्यों से जुड़ी हुई पहचान हैं और वह क्यों इन्हें अपनाएं। उनका कहना है कि उनके पास अपना टाइटल है और वे अपने पूर्वजों के मूल टाइटल्स को ही अपनाएंगे, जो हिंदू ब्राह्मणों से जुड़े हुए हैं।
शेख उपनाम को बताया विदेशी
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, नौशाद अहमद ने कई मुस्लिम परिवारों ने दशकों से चौधरी, सोलंकी, त्यागी, पटेल, राणा, सिकरवार जैसे उपनामों का इस्तेमाल किया है और इस पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया। हालांकि दुबे और ठाकुर जैसे उपनामों के इस्तेमाल ने अब ध्यान आकर्षित किया है। नौशाद अहमद ने बताया कि उन्होंने अपने नाम के साथ शेख नहीं लगाया, जबकि उनके रिश्तेदार ऐसा करते थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने शेख उपनाम इसलिए नहीं लिया क्योंकि यह एक अरबी उपनाम है, जो भारतीय नहीं है।
'देहरी आने के बाद अपनाया इस्लाम'
नौशाद अहमद ने मीडिया को बताया कि मेरे परिवार के वरिष्ठ सदस्य गांव में पंडितजी के नाम से प्रसिद्ध थे। मेरे परदादा ने मुझे बताया था कि हमारे पूर्वज, लाल बहादुर दुबे, देहरी गांव आए थे और यहां एक ज़मींदारी खरीदी थी। उन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपनाया।" नौशाद ने यह भी कहा कि वह अभी भी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके पूर्वज लाल बहादुर ने धर्म परिवर्तन क्यों किया।
रोज़ पांच बार नमाज अदा करते हैं नौशाद अहमद
नौशाद अहमद रोज़ पांच बार नमाज अदा करते हैं और इस्लामिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। उनका कहना है, "मैं पुनः धर्म परिवर्तन करने की इच्छा नहीं रखता हूं।" हालांकि, वह माथे पर तिलक लगाने के खिलाफ भी नहीं हैं। नौशाद ने बताया कि दो साल पहले उन्होंने इतिहासकार और विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष, राजीव श्रीवास्तव से अपनी जाति का पता लगाने में मदद ली थी। श्रीवास्तव ने रिकॉर्ड्स के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि नौशाद के पूर्वज ब्राह्मण थे और उनका गोत्र 'वत्स' था।
गायों की सेवा भी करने लगे हैं मुस्लिम परिवार
जौनपुर जिले के गांव में रहने वाले कई मुस्लिम लोग अब अपने नाम में हिंदू सरनेम जोड़ने लगे हैं। इसके अलावा, वे गायों की सेवा भी करने लगे हैं। इन लोगों का दावा है कि उनके पूर्वज हिंदू थे और अब वे अपने गोत्र की खोज में जुट गए हैं। उनका कहना है कि उनका असली सरनेम ब्राह्मण था और इसलिए उन्होंने ब्राह्मण सरनेम अपनाया है। वे यह भी मानते हैं कि शेख, पठान, मिर्जा और सैयद जैसे टाइटल भारतीय नहीं हैं, बल्कि ये विदेशी शासकों ने दिए थे। अब, वे अपनी मूल भारतीय संस्कृति और सभ्यता की ओर लौटने का प्रयास कर रहे हैं।
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