जौनपुर का बच्चा-बच्चा जिस नाम से वाकिफ है वो हैं धनंजय सिंह। बता दें कि धनंजय सिंह का जन्म बेशक जौनपुर में न हुआ हो लेकिन 1990 के बाद धनंजय का रिश्ता...
Dhananjay Singh : माफिया से नेता बने धनंजय सिंह की कहानी, जिसे एफआईआर के 46 महीने बाद पुलिस ने किया गिरफ्तार
Mar 06, 2024 16:44
Mar 06, 2024 16:44
जानिए कब हुई अखिलेश और धनंजय की मुलाकात
आपको बता दें कि धनंजय सिंह और अखिलेश यादव प्रतापगढ़ के सपा नेता राहुल सिंह की शादी समारोह में मिले थे। इसके अलावा सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा भी हो रही है कि धनंजय सिंह जौनपुर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन मंगलवार को अचानक 46 माहीने पहले दर्ज एफआईआर के आधार पर कोर्ट के आदेश ने जौनपुर की राजनीति में भूचाल ला दिया।
कौन है बाहुबली धनंजय सिंह
जौनपुर अक्सर ही अपराध की खबरों को लेकर जाना जाता है। जहां की जमीन से एक से बढ़कर एक अपराधी आते हैं। उसी जौनपुर का बच्चा-बच्चा जिस नाम से वाकिफ है वो हैं धनंजय सिंह। बता दें कि धनंजय सिंह का जन्म बेशक जौनपुर में न हुआ हो लेकिन 1990 के बाद धनंजय का रिश्ता यहां से ऐसा जुड़ा कि वह कभी बदल ही नहीं पाया। धनंजय सिंह को लोग जौनपुर में कभी काले कारोबारी के नाम से तो कभी नेताजी के रूप में जानता थे। बाहुबली धनंजय सिंह का नाम जौनपुर का पर्यायवाची बन गया।
जेल से दिया था पेपर
बता दें कि धनंजय का जन्म 1975 में कोलकाता में हुआ था। धनंजय का परिवार 1990 से पहले ही जौनपुर आ चुका था। जिसके बाद धंनजय ने जौनपुर से ही अपनी पढ़ाई की। करीब पन्द्रह साल की उम्र में ही धंनजय पर एक टीचर की हत्या का आरोप लगा था। दरअसल दसवीं क्लास के एक छात्र का नाम जब टीचर गोविंद उनियाल की हत्या में आया तो पूरे जौनपुर में सनसनी फैल गई थी। हालांकि पुलिस धनंजय के खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा पाई। इस घटना के दो साल बाद एक और हत्या में धनंजय सिंह का नाम आया। कहते हैं 12वीं क्लास के पेपर धनंजय सिंह ने पुलिस हिरासत से ही दिए। इस मामले में भी पुलिस को उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा।
जौनपुर से जीता पहला चुनाव
2002 में पहली बार धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ने का मन बनाया। जिसके बाद उन्होंने जौनपुर को ही अपनी सीट चुना और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। इसके साथ ही धनंजय ने सियासी सफर शुरू किया था। उनके कई नए दोस्त बने तो कई नए दुश्मन लेकिन विधायक बनने के चंद महीनों बाद ही उनके एक पुराने दोस्त अभय सिंह से उनका सामना हुआ। अभय सिंह जो अब उनका दुश्मन था, उसने धनंजय सिंह के काफिले पर गोली बरसानी शुरू कर दिया। ये घटना बनारस में टक्साल सिनेमा के पास की है। इस घटना में धनंजय सिंह के चार साथी घायल हुए।
बनारस में हुआ काफिले पर हमला
धनंजय सिंह और अभय सिंह वर्ष 2002 आते-आते एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे। अक्टूबर 2002 में बनारस से जा रहे धनंजय के काफिले पर नदेसर में टकसाल टॉकीज के सामने गोलीबारी हुई। गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित काफिले में शामिल अन्य लोग घायल हुए थे। प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। यह मुकदमा फिलहाल विचाराधीन है।
जानिए आपराधिक इतिहास
बाहुबली धनंजय सिंह का आपराधिक इतिहास लगभग तीन दशक से ज्यादा समय का है। पुलिस डोजियर के मुताबिक धनंजय सिंह के खिलाफ वर्ष 1991 से 2023 के बीच जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में 43 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें से 22 मामलों में धनंजय को दोषमुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा तीन मुकदमे शासन ने वापस ले लिए हैं। हत्या के एक मामले में धनंजय की नामजदगी गलत पाई गई और धमकाने से संबंधित एक प्रकरण में पुलिस की ओर से अदालत में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई। यह पहला मामला है, जिसमें धनंजय को दोषी करार दिया गया।
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