स्थानीय अस्पताल "हिंदू सेवा सदन" के कर्मचारियों ने बुधवार रात वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित प्राचीन फूल मंडी की एक दीवार को गिरा दिया। इस कदम ने मंडी संचालकों, वकीलों , किसानों और किराएदारों के बीच भारी असंतोष पैदा किया।
काशी में फूलमंडी की दीवार गिराने को लेकर विवाद : अस्पताल संचालकों पर अवैध कब्जे का आरोप, वकीलों के विरोध पर रोका काम
Nov 07, 2024 16:09
Nov 07, 2024 16:09
- हिंदू सेवा सदन के कर्मचारियों ने मंडी की एक दीवार गिरा दी।
- किसानों और मंडी संचालकों ने इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया।
- मंडी प्रबंधन के अनुसार फूलमंडी की भूमि का लीज 2046 तक सुरक्षित है।
दीवार गिराने पर मंडी संचालकों और किसानों का आक्रोश
किसानों और मंडी संचालकों ने अस्पताल की इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया। जब अस्पताल के कर्मचारी आधी रात को दीवार गिराने के प्रयास में लगे थे, तब मंडी के किराएदार और किसान मौके पर पहुंचकर इसका विरोध करने लगे। उनके अनुसार, अस्पताल प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के दीवार और अन्य संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। मंडी के प्रबंधकों ने इस तोड़फोड़ को गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण करार दिया। उन्होंने बताया कि मंडी में संचालन के लिए 2046 तक की लीज है, जो कोर्ट द्वारा सुरक्षित है।
अस्पताल संचालक की दीवार गिराने की मंशा
मंडी के लोगों का कहना है कि हिंदू सेवा सदन के संचालक अपने कर्मचारियों को लेकर अचानक आधी रात को मौके पर पहुंच गए और दीवार गिराने के लिए हथौड़े और फावड़े का इस्तेमाल किया गया। आसपास के लोगों ने जब इसका कारण पूछा तो अस्पताल के कर्मचारियों ने एक पत्र दिखाया, जिसमें नगर निगम द्वारा भवन के जर्जर होने का जिक्र था। संचालकों ने बताया कि वे दीवार गिराकर एक कॉमन पैसेज बनाना चाहते थे ताकि एम्बुलेंस का रास्ता सुगम हो सके।
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किराएदारों और वकीलों का आक्रोश
इस घटना की जानकारी होते ही किराएदारों के समर्थन में कुछ वकील भी पहुंचे और उन्होंने चौक थाने में पुलिस से मुलाकात की। वकीलों ने दीवार गिराने और कब्जा करने के इस प्रयास को अवैध करार देते हुए अस्पताल संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वकीलों का नेतृत्व कर रहे बार एसोसिएशन के महामंत्री कमलेश सिंह यादव ने आरोप लगाया कि इस तोड़फोड़ के दौरान एक वकील के परिजन की दुकान का सामान भी चोरी हो गया। उन्होंने इस मामले में पुलिस से त्वरित जांच और एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
कोर्ट का स्टे ऑर्डर और लीज का मामला
मंडी प्रबंधन के अनुसार फूलमंडी की भूमि का लीज 2046 तक सुरक्षित है। राजस्थान ट्रस्ट ने इस भूमि को आशीष शाह को लीज पर दिया था और आशीष ने इसे ध्रुव अग्रवाल और कृष्णा अग्रवाल को किराए पर दे रखा है। वर्षों से यहां पूर्वांचल भर के किसान अपने फूल बेचने आते हैं और ये काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य मंदिरों में फूलों की आपूर्ति का प्रमुख केंद्र है। दूसरी ओर, हिंदू सेवा सदन अस्पताल की ओर से कहा गया कि नगर निगम के एक पत्र के आधार पर यह कार्रवाई की गई थी, जिसमें जर्जर भवन की मरम्मत या ध्वस्त करने का जिक्र था। कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बावजूद अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा दीवार को गिराने के प्रयास को गैरकानूनी बताया गया।
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पुलिस ने दोनों पक्षों से दस्तावेज मांगे
इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए चौक पुलिस ने दोनों पक्षों को अपने दस्तावेजों के साथ थाने में तलब किया है। चौक इंस्पेक्टर विमल मिश्रा ने बताया कि नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में जर्जर भवनों को हटाने या उनकी मरम्मत करने का आदेश था, जिसमें मंडी के लीज मालिक आशीष शाह और अस्पताल दोनों को पार्टी बनाया गया था। इंस्पेक्टर ने आश्वासन दिया कि दोनों पक्षों के दस्तावेजों की जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
काशी विश्वनाथ और अन्य मंदिरों की पूर्ति का प्रमुख केंद्र
काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित इस फूलमंडी का ऐतिहासिक महत्व है। यहां साल 1960 से मंडी का संचालन हो रहा है और वाराणसी समेत पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के किसान यहां अपने फूल बेचने आते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली आरतियों के लिए फूलों की आपूर्ति इसी मंडी से होती है, साथ ही कालभैरव, संकटमोचन, संकटा देवी, अन्नपूर्णा मंदिर समेत अन्य छोटे-बड़े मंदिरों में भी इसी मंडी से फूल, माला, बेलपत्र और तुलसी की आपूर्ति की जाती है। इससे 1000 से अधिक किसानों और 600 से अधिक दुकानदारों का रोज़गार जुड़ा हुआ है।
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