Varanasi News : नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े भक्त, पढ़िये रोचक कहानी...

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े भक्त, पढ़िये रोचक कहानी...
UPT | माता शैलपुत्री

Apr 09, 2024 12:52

धर्म एवं आध्यात्मिक नगरी काशी में नवरात्र के पहले दिन देवी शक्ति के प्रथम रूप की पूजा करने का मान्यता है। इसको लेकर वाराणसी के अलईपुर स्थित माता शैलपुत्री के मंदिर में रात से ही दर्शन...

Apr 09, 2024 12:52

Varanasi News : धर्म एवं आध्यात्मिक नगरी काशी में नवरात्र के पहले दिन देवी शक्ति के प्रथम रूप की पूजा करने का मान्यता है। इसको लेकर वाराणसी के अलईपुर स्थित माता शैलपुत्री के मंदिर में रात से ही दर्शन करने के लिए भक्तों की कतार लग गई। जहां पर लाखों की संख्या में भक्ति दर्शन पूजन करने के लिए पहुंचे हैं। मां शैलपुत्री महान उत्साह और भय का नाश करने वाली देवी हैं। इनकी आराधना से यश, कीर्ति, धन और विद्या की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा मात्र से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यतानुसार जगदम्बा मां शैलपुत्री स्वरूप में पर्वत राज हिमालय के घर में पुत्री रूप मे अवतरित हुईं थीं और कालांतर मे जगदम्बा इसी स्वरूप में पार्वती के नाम से देवाधिदेव भगवान शंकर की अर्धांगनी हुईं।

वरुणा नदी के किनारे है मां शैलपुत्री का मंदिर
वाराणसी मे मां शैलपुत्री का मंदिर अलइपुर क्षेत्र में वरुणा नदी के किनारे स्थित है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी है। हाथों में नारियल और फूल माला लेकर सभी अपनी बारी का इंतजार मां के दर्शन के लिए कर रहे हैं। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय माता दी के उद्घोष से गूंज उठा।

नौ रूपों में होती है देवी की पूजा
काशी में आज से नवरात्र की शुरुआत हो गई है। आम तौर से नवरात्रि नौ दिनों की होती है। जिसमें देवी के नौ अलग अलग रूपों का पूजन का विधान है। नवरात्र के पहले दिन पर्वत राज हिमालय की पुत्री माता शैलपुत्री के दर्शन का विधान है। देवी के दर्शन से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। नवरात्रि अर्थात नया अनुष्ठान। शक्ति के नौ रूपों की आराधना नौ अलग-अलग दिनों में करने के क्रम को ही नवरात्रि कहते हैं। मां जीवात्मा, परमात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश व चिदाकाश में सर्वव्यापी हैं। नवरात्रि पर काशी में अलग अलग स्थानों पर मां शक्ति के नौ रूपों के दर्शन करने की मान्यता है।

सती का दूसरा अवतार हैं शैलपुत्री
दर्शन करने आए भक्त नीरज कुमार शर्मा ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का मान्यता है। यह देवी सती का दूसरा रूप माना जाता है। देवी सती के पिता द्वारा एक यज्ञ का आयोजन किया गया था। जिसमें सती को निमंत्रण नहीं दिया गया था, बिना भोलेनाथ के अनुमति के सती पहुंची थीं। जहां पर उनका अनादर हुआ, जिससे वह यज्ञ में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। इसके बाद उनका जन्म हिमालय राज की पुत्री के रूप में हुआ। जिससे उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। यह मंदिर बहुत पुराना है और यहां की मान्यताएं हैं कि दर्शन पूजन करने वाले व्यक्ति को मनचाहा फल मिलता है।

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