चौड़ीकरण के नाम पर तोड़ा गांधी चबूतरा : अखिलेश ने भाजपा को घेरा, बोले- क्या ऐसे बना रहे क्योटो?

अखिलेश ने भाजपा को घेरा, बोले- क्या ऐसे बना रहे क्योटो?
UPT | समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव

Sep 01, 2024 19:29

वाराणसी के जीटी रोड पर सड़क चौड़ीकरण के काम के दौरान शनिवार को रोहनिया चौराहे पर स्थित गांधी चबूतरा को जेसीबी से ढहा दिया गया।

Sep 01, 2024 19:29

Varanasi News : वाराणसी के जीटी रोड पर सड़क चौड़ीकरण के काम के दौरान शनिवार को रोहनिया चौराहे पर स्थित गांधी चबूतरा को जेसीबी से ढहा दिया गया। इसी दौरान, जब गांधी मंदिर को तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन ने काम शुरू किया, तो स्थानीय निवासी एकत्र हो गए और इसका विरोध करने लगे। इस मामले में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है। अखिलेश ने भाजपा पर सवाल उठाते हुए कहा कि काशी के प्रतीक चिन्हों को विकास के नाम पर तोड़कर भाजपा सरकार क्या वाराणसी की विरासत को ही खंडित कर देना चाहती है।

सोशल मीडिया पर क्या बोले सपा प्रमुख?
अखिलेश ने रविवार शाम अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि काशी के प्रतीक चिन्हों को विकास के नाम पर तोड़कर भाजपा सरकार क्या वाराणसी की विरासत को ही खंडित कर देना चाहती है। अब रोहनिया में 55 साल पहले 1968 में बने गांधी चबूतरा व भारत माता मंदिर को चौड़ीकरण के नाम पर तोड़ दिया गया है। अगर ‘क्योटो’ इतिहास की धरोहर को धूल में मिलाकर बनना है तो परंपरा प्रेमी काशीवासियों के बीच इसके लिए एक सार्वजनिक जनमत करा लेना चाहिए।
सड़क चौड़ीकरण के तहत तोड़ा गांधी चबूतरा
बता दें कि मोहनसराय लहरतारा सिक्स लेन सड़क चौड़ीकरण के तहत भारत माता मंदिर, जिसे गांधी चबूतरा के नाम से भी जाना जाता था, को पीडब्ल्यूडी विभाग ने जेसीबी से तोड़ दिया। पीडब्ल्यूडी विभाग के जेई सुंदर कुमार मिश्रा, कार्यदाई संस्था के सुपरवाइजर लक्ष्मी नारायण, रोहनिया व्यापार मंडल के अध्यक्ष दशमी यादव और स्थानीय व्यापारियों के बीच बातचीत हुई थी कि सड़क चौड़ीकरण के बाद गंगापुर मार्ग और परमानंदपुर मार्ग के तिराहे पर एक नया गांधी स्मारक स्थापित किया जाएगा। हालांकि, स्थानीय व्यापारियों की सहमति के बावजूद, गांधी स्मारक को एक ही पल में जेसीबी से ढहा दिया गया।

55 साल पुराना था गांधी चबूतरा
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, 1968 में उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग से संघर्ष करके 55 साल पहले भारत माता मंदिर को स्थापित कराया था। आज अपने ही आंखों के सामने उसे टूटते हुए देखना उन्हें बहुत दुखी कर रहा है। इसके अलावा, चौराहे पर लगाए गए सोलर स्ट्रीट लाइट, जिनकी लागत ढाई लाख रुपये थी, को भी विभाग ने क्षतिग्रस्त कर दिया है।

क्या है 'क्योटो' का मामला
दरअसल, 2014 में भारत के प्रधानमंत्री 5 दिनों के दौरे पर जापान पहुंचे थे। जापानी पीएम शिंजो आबे ने प्रोटोकॉल तोड़कर मोदी की अगुवानी की थी। आबे ने क्योटो के सरकारी गेस्ट हाउस में मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया था। इस दौरान जापान की धरती पर नरेंद्र मोदी के कदम रखते ही भारत और मेजबान के बीच पहला करार हुआ। इस करार के तहत क्योटो की तर्ज पर काशी को विकसित किया जाएगा यानी बनारस को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। इस संबंध में क्योटो के मेयर और भारतीय राजदूत के बीच एक समझौता हुआ था। अखिलेश इसी क्योटो का जिक्र करते हुए भाजपा पर हमला बोला है।

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