वाराणसी को धर्मनगरी काशी के नाम से भी जाना जाता है। जो अपनी विरासत और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है...
वाराणसी की रामलीला : 250 वर्षों की सांस्कृतिक धरोहर, 17 सितंबर से शुरू होगा आयोजन
Aug 26, 2024 11:25
Aug 26, 2024 11:25
250 वर्षों का ऐतिहासिक आयोजन
अरविंद कुमार वर्षों से रामनगर की रामलीला में शामिल रहे हैं। उन्होंने बताया हैं कि यह विश्व प्रसिद्ध रामलीला आयोजन 250 वर्षों से लगातार हो रहा है। इस आयोजन की शुरुआत राजा उदित नारायण सिंह ने की थी। प्रारंभ में यह आयोजन एक ही स्थान पर होता था, लेकिन समय के साथ यह रामनगर के विभिन्न स्थलों पर आयोजित होने लगा। खास बात यह है कि यह आयोजन प्राचीन परंपरा के अनुसार बिना किसी आधुनिकता के शामिल किए पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है।
17 सितंबर से शुरू होगा आयोजन
इस साल रामनगर की रामलीला 17 सितंबर से शुरू होगी। आयोजन की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के दिन रावण जन्म से होती है और यह प्रभु राम के राज्यभिषेक तक चलता है। इस दौरान रामनगर का पूरा वातावरण राममय हो जाता है और देश के विभिन्न हिस्सों से लीला प्रेमी महीनों तक यहाँ निवास करते हैं।
इन जिलों से रहेंगे सभी पात्र
रामलीला के पात्रों का चयन कर लिया गया है। इस साल की रामलीला में अथर्व पांडे प्रभु श्रीराम की भूमिका निभाएंगे। जबकि आदित्य मिश्रा जानकी जी के रूप में दर्शाएंगे। इसके अलावा देवराज त्रिपाठी भरत की भूमिका में और सूरज पाठक लक्ष्मण के रूप में दर्शाएंगे। शत्रुघ्न की भूमिका ओम उपाध्याय निभाएंगे। ये सभी पात्र वाराणसी, चंदौली और मिर्जापुर जनपद से हैं। पात्रों का प्रशिक्षण जुलाई के अंतिम सप्ताह से गणेश पूजन के साथ शुरू हो चुका है।
पात्रों का रखा जाएगा विशेष ध्यान
रामलीला में भाग लेने वाले पात्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें उनकी खान-पान और रहन-सहन को भी नियंत्रित किया जाता है। इस तरह के विशेष प्रबंधों के साथ, पात्र अपने प्रदर्शन को और भी प्रभावशाली बनाते हैं।
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