Varanasi News : ओटीएस को लेकर संघर्ष समिति ने की चर्चा, काली पट्टी बांधकर निजीकरण का किया विरोध

ओटीएस को लेकर संघर्ष समिति ने की चर्चा, काली पट्टी बांधकर निजीकरण का किया विरोध
UPT | विद्युत कर्मचारी ने किया जागरूक।

Jan 16, 2025 23:47

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आवाहन पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने पूरे दिन काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध...

Jan 16, 2025 23:47

Varanasi News : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आवाहन पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने पूरे दिन काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध दर्ज किया। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ओटीएस (OTS) का लाभ सम्पूर्ण जनमानस को कैसे दिया जाए और कैसे ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार कैसे हो, इसके लिए भेलूपुर स्थित पावर हाउस पर भोजन अवकाश में वहां के सभी कर्मचारियों को बताया गया। जिसमें वहां के संबंधित अभियंता भी मौजूद रहे। ओटीएस द्वितीय चरण का 22 जनवरी तक बढ़ाया गया है।



स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट किया था जारी
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है और प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 20 सितंबर 2020 को विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए एक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था।

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आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार
 भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट पर सभी स्टेकहोल्डर्स की आपत्तियां मांगी थी। उल्लेखनीय है कि विद्युत मंत्रालय ने अभी तक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ड्राफ्ट पर आई आपत्तियों एवं सुझावों पर विचार कर रहा है। ऐसे में पॉवर कारपोरेशन द्वारा निजीकरण हेतु जारी आरएफपी डॉक्यूमेंट में भारत सरकार के 20 सितम्बर 2020 के ड्राफ्ट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना पूर्णतया अवैधानिक है। 
 
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बिडिंग एक धोखा
संघर्ष समिति ने कहा कि भारत सरकार के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट में स्पष्ट लिखा है कि "इस अस्वीकरण के साथ कि दस्तावेज़ विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है"। संघर्ष समिति ने कहा कि जब यह डॉक्यूमेंट भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के विचारों का प्रतिनिधित्व ही नहीं करता तो इसका उल्लेख कर निजीकरण करने का साफ मतलब है कि निजी घरानों का नाम पहले ही तय कर लिया गया है और बिडिंग एक धोखा है।

किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार नहीं
 संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियां जो लाखों करोड़ों रुपये की है, इसका मूल्यांकन कराए बिना किस आधार पर इसकी रिजर्व प्राइस तय की गई है। स्पष्ट है कि इसे कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश चल रही है। जनपदों की हजारों एकड़ जमीन मात्र एक रुपये की वार्षिक लीज पर निजी घरानों को देने का प्रस्ताव है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी लगातार आन्दोलित हैं और वे किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे।

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