Vijayadashami 2024 : काशी विश्वनाथ में शिव शस्त्रों का पूजन और प्रदर्शन, पहली बार होगा ऐसा आयोजन

काशी विश्वनाथ में शिव शस्त्रों का पूजन और प्रदर्शन, पहली बार होगा ऐसा आयोजन
UPT | काशी विश्वनाथ धाम

Oct 10, 2024 10:34

वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ धाम में इस विजयदशमी पर एक ऐतिहासिक और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। श्रद्धालु पहली बार बाबा विश्वनाथ के शस्त्रों का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। जो शैव परंपरा के...

Oct 10, 2024 10:34

Varanasi News : वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ धाम में इस विजयदशमी पर एक ऐतिहासिक और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। श्रद्धालु पहली बार बाबा विश्वनाथ के शस्त्रों का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। जो शैव परंपरा के तहत देवाधिदेव महादेव के अद्वितीय और शक्ति प्रतीक शस्त्रों का प्रदर्शन करेंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस अनोखे आयोजन के लिए विशेष तैयारियां की हैं। जिसमें भक्तों को बाबा के शक्तिशाली शस्त्रों का दर्शन कर पाने का सौभाग्य प्राप्त होगा।


काशी विश्वनाथ में पहली बार होगा शस्त्र पूजन
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर के इतिहास में पहली बार शस्त्र पूजन का आयोजन किया है। जो एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का अवसर है। इस अवसर पर शैव शस्त्रों में त्रिशूल, धनुष, तलवार और परसु का पूजन किया जाएगा। जो भगवान शिव के अस्त्रों के रूप में पूजित होते हैं। विजयदशमी के दिन होने वाले इस आयोजन का मकसद भगवान शिव के शौर्य और शक्ति के प्रतीक शस्त्रों की महिमा को प्रदर्शित करना है।

शाम को शस्त्रों का होगा भव्य प्रदर्शन
शाम को धाम में पारंपरिक शस्त्रों का भव्य प्रदर्शन भी किया जाएगा। जिसमें पूर्वांचल के पारंपरिक शस्त्र कौशल में निपुण प्रशिक्षित लोगों की टोली शामिल होगी। ये प्रशिक्षक लाठी, भाला, त्रिशूल और तलवार सहित अन्य शस्त्रों का प्रदर्शन करेंगे। जो पुराने युद्ध कौशल की झलक देंगे और श्रद्धालुओं को रोमांचित करेंगे। इस आयोजन में श्रद्धालु पारंपरिक भारतीय शस्त्रों की सुंदरता और वीरता को करीब से देख सकेंगे। जिससे विजयदशमी के पर्व को और अधिक भावपूर्ण और आध्यात्मिक बनाया गया है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि इस आयोजन में सभी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं का सम्मान रखते हुए पूजा विधि सम्पन्न की जाएगी।

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भगवान शिव के शस्त्र
  • त्रिशूल- भगवान शिवजी का त्रिशूल सत, रज और तम का प्रतीक है। त्रिशूल का संबंध भगवान शिव के स्वरूप से भी है। इसी अस्त्र से शिवजी ने कई दैत्य व दानवों का वध किया।
  • चक्र भवरेंदु- भगवान शिवजी के चक्र का नाम भवरेंदु था। इसे अचूक शस्त्र माना जाता है।
  • पिनाक धनुष- भगवान शिव के शस्त्र में पिनाक धनुष भी था, जोकि महाप्रलयकारी था। इसी शस्त्र के कारण शिव का एक नाम पिनाकी पड़ा। भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं इसका निर्माण किया था। भगवान शिव ने इसी धनुष से त्रिपुरों का नाश किया था। इसलिए भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी है। बाद में भगवान शिव ने ये धनुष अपने परम भक्त राजा देवरात को सौंप दिया था। ये राजा जनक के पूर्वज थे। देवी सीता के स्वयंवर में भगवान श्रीराम के हाथों ये धनुष भंग हो गया था।
  • खड़ग- इस अस्त्र से मेघनाद ने लक्ष्मण पर वार कर उन्हें घायल कर दिया था। मेघनाद पराक्रम में रावण से भी अधिक था। उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनसे खड़ग प्राप्त किया। ये अजेय शस्त्र था, इसलिए लक्ष्मण इसके वार से घायल हो गए थे।
  • रुद्रास्त्र- यह शिवजी का महाविध्वंसक अस्त्र था। इसे चलाने पर 11 रुद्रों की शक्ति एक साथ प्रहार करती थी। महाभारत के अनुसार अर्जुन ने रुद्रास्त्र के केवल एक प्रहार में ही तीन करोड़ असुरों का वध किया था।
  • पाशुपात- इस अस्त्र का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। महाभारत के अनुसार अर्जुन ने घोर तपस्या कर शिवजी से ये अस्त्र प्राप्त किया था। इसी अस्त्र से कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन ने कई योद्धाओं का वध किया था।

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