वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला की शुरुआत हो गई है। ये राम लीला लगातार 30 दिनों तक रामनगर के विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएगी। यह रामलीला आधुनिक दौर में भी अपनी परंपरा को लेकर चल रही है।
रामनगर की प्रसिद्ध रामलीला शुरू : यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया, 30 दिनों तक लगातार होगा आयोजन
Sep 18, 2024 01:10
Sep 18, 2024 01:10
प्राचीन परंपरा का निर्वाहन
रामनगर की रामलीला अपनी परंपराओं को आधुनिकता की चकाचौंध से दूर रखते हुए आज भी पेट्रोमैक्स की रोशनी में संपन्न की जाती है। इस रामलीला में किसी भी प्रकार की आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं होता, न तो कोई लाइटिंग और न ही ध्वनि प्रभाव। यह लीला अपने मूल स्वरूप में, पूरी तरह से पारंपरिक तरीके से मंचित की जाती है। पात्रों को इस लीला में भाग लेने से पहले 40 दिनों की विशेष प्रशिक्षण दी जाती है, जिसके बाद उन्हें मंचन की अनुमति मिलती है।
रामलीला का भव्य आयोजन
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के दिन से शुरू होने वाली इस रामलीला में रामनगर को त्रेतायुग का रूप दे दिया जाता है। इस लीला का शुभारंभ क्षीरसागर की दिव्य झांकी से होता है, और इसी दिन रावण का जन्म भी दिखाया जाता है। रामनगर की रामलीला का आयोजन काशी नरेश की उपस्थिति में किया जाता है, जो इस आयोजन की महत्ता को और बढ़ाता है। रामलीला का प्रदर्शन 10 किलोमीटर के विशाल परिक्षेत्र में किया जाता है, जिससे इसे दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला के रूप में पहचान मिली है।
विश्व धरोहर की पहचान
रामनगर की रामलीला को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है, जिससे इसकी प्राचीन विरासत और सांस्कृतिक महत्ता का वैश्विक स्तर पर सम्मान किया गया है। इसे देखने के लिए देशभर से साधु-संत और श्रद्धालु एकत्र होते हैं, जो पूरे एक महीने तक रामलीला का आनंद लेते हैं।
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