गरीबी में भी नहीं डगमगाया ईमान : 5 लाख का लौटाया सोना, पढ़ें पूरी दिलचस्प कहानी

 5 लाख का लौटाया सोना, पढ़ें पूरी दिलचस्प कहानी
UPT | घनश्याम को मिला 11 हजार का पुरस्कार

Jul 04, 2024 19:39

कहते हैं कि ईमान ख़रीदा नहीं जाता बल्कि संस्कारों में होता है, यह संस्कार ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। जो अपने ईमान से डिगते ही चाहे उन्हें स्वर्ण जड़ित हीरे ही क्यों न मिल जाएं, लेकिन इस कलयुग में...

Jul 04, 2024 19:39

Agra News : कहते हैं कि ईमान ख़रीदा नहीं जाता बल्कि संस्कारों में होता है, यह संस्कार ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। जो अपने ईमान से डिगते ही चाहे उन्हें स्वर्ण जड़ित हीरे ही क्यों न मिल जाएं, लेकिन इस कलयुग में चंद नोटों की खातिर लोग अपना ईमान बेच देते हैं। आगरा के घनश्याम हेमलानी जो पापड़ बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं, पांच लाख के स्वर्ण आभूषण मिलने पर भी अपना ईमान नहीं डगमगाने दिया और आभूषण के मालिक को सोशल मीडिया एवं व्यक्तिगत प्रयासों से तलाश कर पर्स की मालिक को सौंप कर मिसाल पेश की। 

11 हजार पुरस्कार पाकर खुश है घनश्याम
किराए के मकान में रहने और घर-घर पापड़ बेचकर गुजर करने वाले घनश्याम हेमलानी मिसाल हैं। उन लोगों के लिए, जिनकी नीयत हजार-दो हजार पर भी डोल जाती है। मेहनत के बजाय जो चोरी और लूट करते हैं। जबकि पांच लाख के सोने के गहनों से भरा पर्स रास्ते में मिलने पर घनश्याम ने अपनी नीयत को डगमगाने नहीं दिया। पुलिस को सूचना दी, स्थानीय लोगों को बताया और सोशल मीडिया पर भी पर्स मिलने की जानकारी दी। बेईमानी के 5 लाख के बजाय पर्स की मालिक से 11 हजार बतौर पुरस्कार पाकर वह खुश हैं। 

केदारनगर तिराहे पर मिला पर्स 
सत्तो लाला फूड कोर्ट, कोठी मीना बाजार पर आयोजित प्रेस वार्ता में मीडिया के समक्ष पर्स की मालिक मौनी (संतोष) को पर्स सौंपते हुए बताया कि 02 जुलाई की रात को घनश्याम हेमलानी हनुमान जी के मंदिर गए थे। वहीं केदारनगर तिराहे पर उन्हें एक पर्स मिला। जिसमें 1600 रुपये, दो सोने की चूड़ियां, एक चेन, दो अंगूठी, दो कुंडल थे। साथ में कुछ लिखी हुई एक पर्ची थी। घनश्याम कहते है, मैंने कुछ स्थानीय लोगों को जानकारी दी, केदार नगर पुलिस चौकी में सूचना दी और सोशल मीडिया में भी जानकारी डाल दी। बुधवार की शाम केदार नगर निवासी मौनी पर्स डूंढते हुए केदार नगर तिराहे के पास एक पान की दुकान वाले से पूछताछ करने लगी। पान वाले ने उन्हें घनश्याम हेमलानी का नम्बर दिया और कहा कि यदि पर्स तुम्हारा है तो सुरक्षित मिल जाएगा। मौनी ने घनश्याम हेमलानी को फोन किया और पर्स में मौजूद सभी चीजों की सही-सही जानकारी दी। पर्स में एक पर्ची भी थी, जिसमें लिखा था, बेटी हमेशा खुश रहना। मौनी ने बताया कि वह सिम्पकिंस स्कूल में टीचर हैं। पिता नहीं हैं। मां उमा देवी ने अपने आर्शीवाद के रूप में एक बार लिखकर दिया था कि बेटी हमेशा खुश रहना। जिस पर्ची को वह हमेशा अपने पास रखती हैं। वृन्दावन में खरीदे प्लाट की रजिस्ट्री के लिए वह अपने जीवन की कमाई को किसी सुनार के यहां गिरवी रखने जा रही थी, जो गलती से केदार नगर तिराहे पर गिर गए। शायद पर्ची पर लिखा मां आर्शीवाद ही था, जिसके कारण उन्हें जीवन की पूंजी वापस मिल गई। घनश्याम हेमलानी ने उन्हें उनका पर्स वापस किया तो मौनी ने भी बतौर उपहार स्वरूप 11 हजार रुपये का लिफाफा उन्हें दिया और ईश्वर से हमेशा उन्हें व उनके परिवार को खुश रखने की कामना की।

अभी सहारा लेकर चलते हैं घनश्याम
इस अवसर पर मौजूद सुनील करमचंदानी ने बताया कि पांच माह पूर्व पैर में फ्रैक्चर होने से घनश्याम अभी सहारा लेकर चलते हैं। फिलहाल घनश्याम समाज की मदद से अपना जीवन गुजार रहे हैं। यदि समाज में घनश्याम जैसे ईनामदार लोग हो तो किसी को कोई तकलीफ न हो। इस अवसर पर दिलीप खंडेलवाल, सुनील करमचंदानी, घनश्याम की पत्नी राधा, मोहित आदि मौजूद रहे।

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