गुरु के ताल का रंजीत अखाड़ा करेगा नगर कीर्तन में प्रदर्शन।
छोटी बच्चियों भी दिखाएंगी युद्ध कला के करतब।
Agra News : सरबंस दानी दशम पिता गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व से पूर्व 5 जनवरी दिन रविवार को आगरा में विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा से निकलने वाले इस नगर कीर्तन के मुख्य आकर्षणों में से एक गुरुद्वारा गुरु का ताल का रंजीत अखाड़ा होता है। रंजीत अखाड़े के वीर प्राचीन सिख मार्शल आर्ट गतका का शानदार प्रदर्शन इस नगर कीर्तन में करते हैं। जिसके लिए इन दोनों गुरुद्वारा गुरु का ताल में इस प्राचीन युद्ध कला का अभ्यास चरम पर है। गुरुद्वारा गुरु का ताल में संचालित रंजीत अखाड़े के विद्यार्थी गतके का अभ्यास कर रहे हैं।
गुरुवार को रंजीत अखाड़े के विद्यार्थियों ने गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह की निगरानी में रिहर्सल की। इस दौरान 5 वर्ष की उम्र से लेकर 18 वर्ष तक के विद्यार्थियों ने युद्ध कला का शानदार प्रदर्शन किया। जिसमें शुरुआत पैतरेबाजी से की गई। इसके साथ-साथ विभिन्न तरह के प्राचीन शास्त्रों के माध्यम से भी विद्यार्थियों ने प्राचीन कला का प्रदर्शन किया।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा गुरु का ताल में लगभग 50 वर्ष पूर्ण संत बाबा साधू सिंह जी, मोनी जी ने शस्त्र विद्या सिखाने की शुरुआत की थी। तभी से ही प्राचीन युद्ध कला गतका यहां सिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि सिख धर्म में संत सिपाही की परिकल्पना को साकार किया गया है। जिसका उद्देश्य शास्त्र और शस्त्र एक साथ रखने के लिए कहा गया है। रिहर्सल के दौरान मौजूद गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा माई थान के प्रधान कमलदीप सिंह और हेड ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने बताया कि नगर कीर्तन में गतका आकर्षण का मुख्य केंद्र रहता है। आगरा की समस्त नानक नाम लेवा संगत को वर्ष भर इस गतके का इंतजार रहता है और सभी बड़े ही उत्साह व जोश के साथ नगर कीर्तन में होने वाले गतके का आनंद लेते हैं।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के मीडिया प्रभारी जसबीर सिंह ने गतके में मुख्य रूप से जिन शस्त्रों का प्रयोग होता है। उनमें तलवार, ढाल, दुधारी तलवार, कटार, खंजर, भाला, बरछा , खुखरी ,नेजा, गोला, कांटेदार गोला ,चक्र,10 फूटी तलवार का का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी शास्त्रों के युद्ध के दौरान अलग-अलग आवश्यकताओं के आधार पर इस्तेमाल किया जाता है। गुरुद्वारा गुरु का ताल में मास्टर सतवीर सिंह सुशील गतके का अभ्यास विद्यार्थियों को करा रहे हैं और इस प्राचीन सिख मार्शल आर्ट में पारंगत कर रहे हैं।
छोटी-छोटी बच्चियों भी करेगी मार्शल आर्ट गतका का प्रदर्शन
गुरुद्वारा गुरु ताल में संचालित रंजीत अखाड़े में बालकों के साथ-साथ छोटी-छोटी बालिकाएं भी प्रशिक्षण ले रही है। संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ शुरू करते हुए जहां पुरुषों के नाम के साथ उपनाम सिंह यानी शेर जोड़ा तो वहीं महिलाओं के लिए कौर यानी राजकुमारी उपनाम दिया। गतके में आज बालिकाएं बहुत शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। रंजीत अखाड़े में भी पिछले एक दशक से निरंतर छात्राओं को गतके का प्रशिक्षण दिया जाता है और वह नगर कीर्तन के दौरान इसका प्रदर्शन भी करती है। उन्होंने कहा कि गतका आज के समय में महिलाओं की प्राथमिक आवश्यकता है। यदि छात्राएं इस कला में पारंगत होगी तो वह आत्म सुरक्षा के साथ-साथ अन्य की सुरक्षा करने में भी सक्षम होंगी। गतका महिलाओं व छात्राओं को न केवल सुरक्षित बनाता है बल्कि आत्मनिर्भर व आत्मविश्वासी भी बना रहा है।
ये लोग रहे मौजूद
गतका रिहर्सल के गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह, जत्थेदार राजेंद्र सिंह, बाबा अमरीक सिंह, महंत हरपाल सिंह, ग्रंथि अजायब सिंह, हरबंस सिंह, गुरुद्वारा श्रीगुरु सिंह सभा माई थान के प्रधान कवलदीप सिंह, ग्रंथी कुलविंदर सिंह, बंटी ग्रोवर, वीरेश सिंह भी मौजूद रहे।