फिरोजाबाद में भोले-भाले लोगों को बैंक से लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह के शातिर अपराधियों को गिरफ्तार करके पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। जानिए लोगों को अपने जाल में कैसे फंसाते थे ये शातिर।
बीबीए करके बन गया ठग : लोन दिलाने के नाम पर करता था खेल, पुलिस के सामने हुआ फेल
Feb 26, 2024 21:25
Feb 26, 2024 21:25
- पुलिस ने लोन के नाम पर ठगी करने वाले अन्तर्जनपदीय गिरोह का किया भंडाफोड़
- 3 शातिर अपराधियों को फर्जी आधार कार्ड और बैंक मोहर के साथ किया गिरफ्तार
ऐसे हुआ खुलासा
पीड़ित राजू कुशवाह द्वारा थाना उत्तर पर तहरीर दी गई थी कि दिनांक 29 जनवरी 2024 को स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, जैन मन्दिर के पास से 2 युवकों द्वारा लोन दिलाने के नाम पर उसके साथ धोखाधडी करते हुए मोबाइल से 50,000 रुपये की ठगी कर ली है। पीड़ित व्यक्ति की तहरीर के आधार पर थाना उत्तर पर आईटी एक्ट के तहत मामल दर्ज किया गया था। इस घटना के खुलासे के लिए उच्चाधिकारियों द्वारा थाना उत्तर एवं साइबर अपराध थाना पुलिस टीम को निर्देशित किया गया था। इसी क्रम में थाना साइबर अपराध पुलिस टीम द्वारा मामले में मुकदमे से जुड़े 3 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में युवराज उर्फ गौरव, मनीष यादव व रोहित यादव शामिल हैं। तलाशी के दौरान इन शातिर ठगों के पास से 3 मोबाइल फोन, 31500 रुपये नगद, लोन के फर्जी फॉर्म , पैम्फलेट और 8 फर्जी आधार कार्ड, 7 फर्जी बैंक पहचान पत्र व अन्य सामान बरामद किया गया है।
भोलेभाले लोगों को बनाते थे शिकार
पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपियों द्वारा बताया गया कि ये लोग बिजनेस लोन दिलाने के नाम पर विभिन्न जनपदों आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बुलन्दशहर, एटा, मथुरा आदि में फर्जी पैम्फलेट चस्पा कर या बांटकर प्रचार-प्रसार करते हैं। जिस पर इनके फर्जी मोबाइल नंबर लिखे होते हैं। जब कोई व्यक्ति इनके पास लोन के सम्बंध में जानकारी हेतु फोन करता है, तो ये लोग व्हाट्सअप के जरिये उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड की फोटो मंगा कर फर्जी लोन डिटेल भेजकर किसी बैंक के आसपास बुला लेते हैं और अपने पास रखे फर्जी लोन के फॉर्म भरवाते हैं। साथ ही आने वाले व्यक्ति को ये बता दिया जाता है कि जितने रुपये का लोन वह लेना चाहता है, उसका 20 प्रतिशत उसके खाते में होना जरूरी है।
खातों से उड़ा लेते थे रकम
इस दौरान केवाईसी वैरिफिकेशन करने के नाम पर उसका मोबाइल ले लेते हैं और उसे बातों में लगाकर उसके खाते से रुपये ट्रांसफर कर लेते हैं। कभी-कभी अगर कोई व्यक्ति एटीएम लाता है, तो उसे पुराना बताकर उसका पिन कोड वैरिफिकेशन के नाम पर पता करके अपने साथियों की मदद से किसी अन्य एटीएम से पैसे निकाल लेते हैं। पकड़े गए आरोपी युवराज ने बताया कि वह बीबीए एवं बैंकिंग डिप्लोमा किये हुए है। इसीलिए उसे बैकिंग सिस्टम की अच्छी जानकारी है। फर्जी पैम्फलेट छापने का आइडिया उसी ने दिया था। इस गिरोह के बाकी ठगी यह काम मिलकर करते हैं। जिसके बाद ठगी का जो पैसा मिलता है उसे आपस में बांटकर अपना खर्चा करते हैं ।
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