मथुरा के वृन्दावन में यमुना घाट पर आदिवासी लोगों ने 13 के व्रत को खोलते हुए पूजा अर्चना की। और अपनी शैली के नृत्य गायन किये....
Mathura News : आदिवासियों की यमुना किनारे अनोखी पूजा, थिरकते युवा लोगों के लिए बना आकर्षण का केंद्र
Nov 01, 2024 17:58
Nov 01, 2024 17:58
शुक्रवार को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड के आदिवासी क्षेत्र से आई इन टोलियों में शामिल युवाओं ने गोवर्धन पूजा पर यमुना स्नान कर गोदान किया तथा दीपावली के दिन 13 साल तक मौन व्रत के दौरान जंगल में घूमकर भगवान श्रीकृष्ण के प्रतीक स्वरुप मोर पंखों को यमुना में विसर्जित किया।
ग्वाला नृत्य कर व्रत की सफलता की खुशी मनाई
मौन व्रत खोलने के बाद युवाओं ने अपनी परम्परागत शैली में दीवारी लोकगीतों का गायन करते हुए ग्वाला नृत्य कर अपने व्रत की सफलता की खुशी मनाई। आदिवासी क्षेत्र देवराह से आए भैया लाल ने बताया कि इस व्रत अंतर्गत वह तेरह साल तक हर दीपावली पर मौन व्रत रखते हैं इस दौरान जंगल में निकल जाते हैं। जहां भगवान श्रीकृष्ण के प्रतीक स्वरुप मोर पंख और गाय की पूंछ के बाल एकत्र करते हैं। तेरहवें साल में वह इन्हें एक साथ लेकर यमुना किनारे केसीघाट पर आते हैं और पूजा अर्चना कर इन्हें विसर्जित कर देते हैं।
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व्रत को करने से भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है
रामनरेश शुक्ला ने बताया कि इस व्रत को कहीं दीवाली तो कहीं ग्वाला व्रत या फिर कन्हैया मौन व्रत कहा जाता है तथा व्रत को खोलने के बाद होने वाले नृत्य को दीवारी या ग्वाला या फिर मौनिया नृत्य कहते हैं। बताया कि इस व्रत को करने से भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही उत्थापन के समय गोदान से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
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