राया मंडल में बीजेपी के संगठन चुनाव में गुटबाजी और विवाद : शांतिपूर्ण चुनाव के लिए दो प्रभारी नियुक्त

UPT | नामंकन दाख़िल करते कार्यकर्ता

Dec 16, 2024 22:22

भारतीय जनता पार्टी  के संगठन चुनाव में गुटबाजी और बड़े नेताओं की दखलंदाजी के चलते कार्यकर्ताओं के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है...

Mathura News : भारतीय जनता पार्टी  के संगठन चुनाव में गुटबाजी और बड़े नेताओं की दखलंदाजी के चलते कार्यकर्ताओं के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। 15 दिसंबर को राया मंडल में मंडल अध्यक्ष के चुनाव के दौरान यह गुटबाजी स्पष्ट रूप से देखने को मिली। पहले तो सर्वसम्मति से चुनाव कराने की कोशिश की गई, लेकिन एक कार्यकर्ता भूपेश अग्रवाल ने नामांकन दाखिल करने का अडिग रुख अपनाया। जिससे वहां मौजूद अन्य कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया। इस स्थिति को देखते हुए चुनाव प्रभारी देवेश पाठक बैरंग लौट गए।

दो चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए
पार्टी ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए चुनाव प्रभारी देवेश पाठक के साथ सह चुनाव प्रभारी के तौर पर जिला पंचायत सदस्य सतपाल चौधरी को भेजा। 16 दिसंबर को एक बार फिर कार्यकर्ता अग्रवाल सेवा सदन में एकत्रित हुए। चुनाव प्रभारी देवेश पाठक ने बताया कि उनके पास कुल 7 नामांकन पत्र दाखिल हुए, लेकिन जिस कार्यकर्ता की वजह से चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई थी वह आज अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका। इस तरह से पार्टी ने गुटबाजी और विवाद को सुलझाकर चुनाव की प्रक्रिया को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा किया और कार्यकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने का प्रयास किया।

गुटबाजी की खबर शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची
जब यह स्थिति शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची, तो पार्टी ने दो चुनाव प्रभारी नियुक्त किए। इससे असर यह हुआ कि 16 दिसंबर को चुनाव शांतिपूर्वक हुआ और 7 कार्यकर्ताओं ने अपनी दावेदारी पेश की जिसमें एक महिला कार्यकर्ता भी शामिल थी। सभी ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए जिससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार हुआ।



पार्टी की नीतियों से काम नहीं हुआ मेल
भारतीय जनता पार्टी आदर्शवादी पार्टी मानी जाती है और इसके कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों का पालन करते हैं। 15 दिसंबर को मंडल अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी ने एक बायलॉज तैयार किया था। जिससे यह सुनिश्चित किया जाना था कि चुनाव में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं की छवि साफ और सुथरी हो। हालांकि, राया मण्डल के चुनाव में कार्यकर्ता भूपेश अग्रवाल ने नामांकन दाखिल करने की जिद पकड़ ली, जबकि अन्य चार दावेदार रामकुमार उपाध्याय, राम प्रकाश शर्मा, संजय गोयल और मोहित अग्रवाल आपसी सहमति से चुनाव कराने को तैयार थे। लेकिन भूपेश अग्रवाल के नामांकन पर अड़े रहने से विवाद बढ़ा और चुनाव की प्रक्रिया टल गई।

कार्यकर्ताओं की नाराजगी और गुटबाजी
इस गुटबाजी की सूचना प्रदेश संगठन तक पहुंची। कार्यकर्ता इस बात से नाराज थे कि वे सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले पार्टी से जुड़ने वाला व्यक्ति अध्यक्ष बनने की दावेदारी कर रहा था और उस पर बड़े नेताओं और जनप्रतिनिधियों का समर्थन था। इससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के हितों की अनदेखी हो रही थी।

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