आगरा की रोटी वाली अम्मा : पीएम मोदी और सीएम योगी ने जिसका किया सम्मान, नगर निगम ने किया उसका 'अपमान'

UPT | फुटपाथ पर चल रही थी दुकान

Feb 21, 2024 20:33

जिस बुजुर्ग महिला को तत्कालीन डीएम ने कोरोना योद्धा ही नहीं बल्कि अन्य विभूतियां से अलंकृत किया था, उसी 82 वर्षीय भगवान देवी की रोजी रोटी छीनने का काम नगर निगम ने किया है। नगर निगम ने अतिक्रमण के नाम पर अम्मा की रोटी नाम से मशहूर दुकान को हटा दिया है और आज बुजुर्ग महिला दाने दाने के लिए का मोहताज हो चुकी है। जब बुजुर्ग महिला नगर निगम में अन्य स्थान प्राप्त करने के लिए पहुंची तो नगर निगम कर्मचारियों ने खुलेआम 10 हजार रूपये की घूस की मांग कर डाली।

Agra News (प्रदीप रावत ) : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुबह के मुखिया योगी आदित्यनाथ सरकार में आम आदमी की सहभागिता और उनके विकास की बात करते हैं। पीएम और सीएम की मंशा के अनुकूल ही तत्कालीन जिलाधिकारी पीएन सिंह ने बुजुर्ग महिला का सम्मान ही नहीं कराया था बल्कि उन्हें ₹10 हजार की आर्थिक सहयोग राशि देकर रोजगार भी उपलब्ध कराया था। नगर निगम में बुजुर्ग महिला को रेडी भी उपलब्ध कराई थी, इसके साथ ही उन्हें स्पेस भी दिया गया था जिससे वह सम्मान पूर्वक अपना जीवन यापन कर सकें।   
कोरोना काल में मिली थी पहचान वहीं अब उसी 82 वर्षीय भगवान देवी की दुकान"रोटी वाली अम्मा " को नगर निगम ने अतिक्रमण बता कर हटाने का काम किया है। जिसके बाद से भगवान देवी को जीवन यापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में सोशल मीडिया पर बुजुर्ग भगवान देवी के वायरल होने के बाद उन्हें "रोटी वाली अम्मा" के नाम से नई पहचान मिली थी। तत्कालीन डीएम के आदेश पर सरकारी वित्तीय सहायता के साथ शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने भरपूर मदद की थी। उन्हें नगर निगम ने सेंट जोंस चौराहें के फुटपाथ पर जगह के साथ एक ठेल भी उपलब्ध कराई गई थी। जिससे भगवान देवी के बुजुर्ग हाथों को रोजगार मिल सके। बुधवार को बुजुर्ग भगवान देवी निवासी बाग मुज्जफर खां ने बताया कि चार महीने पहले नगर निगम की टीम आयी थी।

बहू -बेटे ने पहले ही घर से निकाला
अधिकारियों ने कहा कि यहां मेट्रो का विकासकार्य होगा। तुमने अतिक्रमण कर रखा है, यहां से अपनी दुकान हटानी होगी अन्यथा हमें जबरन हटानी पड़ेगी। कार्यवाई के डर के कारण फुटपाथ पर चल रही दुकान को बुजुर्ग भगवान देवी को हटानी पड़ी। पति मरने के बाद बहू -बेटे ने पहले ही घर से बाहर निकाल दिया था। जैसे-तैसे फुटपाथ पर छोटी सी दुकान लगाकर सस्ते में लोगो को अच्छा खाना देती थी। उससे जीवन यापन चल रहा था, लेकिन अब दुकान भी नही रही। जिससे अब दाने-दाने के लिए भी मोहताज हो गयी हूँ। कोई भी मदद के लिए हाथ नही बढ़ा रहा। मेरी बस एक मांग है कि मुझे दुकान लगाने के लिए नया ठिकाना दिला दिया जाए। जिससे मेरी रोजी-रोटी चलती रहे।   बुजुर्ग भगवान देवी से मांगी गई घूस बुजुर्ग भगवान देवी ने बताया कि मुझे कोरोना योद्धा और मिशन शक्ति के सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया था। बड़े अधिकारियों ने मेरे काम की सराहना की थी। डीएम के आदेश पर नगर निगम ने पंजीकरण कर 10 हज़ार की आर्थिक मदद भी दी थी, लेकिन दुकान हटने के बाद में नया ठिकाना नगर निगम से मांगने गयी, तो कर्मचारियों ने 10 हज़ार की मांग कर डाली। मेरे पास दवा के लिए ठीक से पैसा नही है। ऐसे में 10 हज़ार की घूस दे पाना मेरी हैसियत से बाहर है। मेरी बस यही मांग है कि मुझे दुकान लगाने के लिए नया ठिकाना दे दिया जाए, जिससे मेरा रोजगार फिर से शुरू हो सके और मैं आत्म निर्भर बन कर खुद का खर्चा निकाल सकू।    

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