सबसे बड़ा प्रमाणपत्र फर्जीवाड़ा : हाथरस के एक गांव से बने छह राज्यों के बर्थ सर्टिफिकेट, यूपी के 47 जिलों के लिए भी जारी हुए

UPT | जन्म प्रमाणपत्र फर्जीवाड़ा

Aug 14, 2024 18:54

रायबरेली के बाद अब उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में जन्म प्रमाणपत्र बनाने का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। हसायन विकास खंड की ग्राम पंचायत सिंचावली सानी में वीडीओ की यूजर आईडी से पिछले 19 महीने में 814 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए।

Hathras News : रायबरेली के बाद अब उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में जन्म प्रमाणपत्र बनाने का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। हसायन विकास खंड की ग्राम पंचायत सिंचावली सानी में वीडीओ की यूजर आईडी से पिछले 19 महीने में 814 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए। ये प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश के 47 जिलों समेत देश के छह राज्यों के लिए जारी किए गए। डीएम ने इस मामले की जांच सीएमओ को सौंपी है। उन्होंने जनपद के सभी ब्लॉकों में जांच के आदेश दिए हैं। सिंचावली के ग्राम पंचायत अधिकारी ईश्वर चंद्र हैं। ईश्वर चंद्र को ग्राम पंचायत की सीआरएस आईडी 3 अगस्त को जारी हुई थी।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
जब ईश्वर चंद्र ने आईडी खोलकर देखी तो पाया कि इससे 1 जनवरी 2023 से 2 अगस्त 2024 के बीच लगभग 814 जन्म प्रमाण पत्र पहले ही जारी हो चुके थे। उन्होंने तुरंत विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. मोहन झा ने कहा कि हाथरस की 30 पंचायतों की आईडी नहीं बनी थीं। उन्हें यह सूचना डीपीआरओ स्तर से दी गई थी। डॉ. झा ने कहा कि यह किसी हैकर का काम हो सकता है या किसी ने आईडी का दुरुपयोग किया हो। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही सच सामने आएगा।

निगरानी पर सवाल खड़े 
इस घटना ने सीआरएस पोर्टल की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंचायत सचिव की आईडी हस्तांतरण से पहले ही जन्म प्रमाण पत्र जारी होते रहे। किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी सीआरएस पोर्टल की निगरानी का जिम्मा जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के पास है। इस मामले में आईडी पंचायत सचिव तक पहुंची ही नहीं थी और उससे पहले ही प्रमाण पत्र जारी हो गए। यह घटना रायबरेली के सलोन में हुए फर्जीवाड़े के बाद सामने आई है।



बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े होने की शिकायत
रायबरेली के सलोन विकासखंड में जनसुविधा केंद्र के संचालक ने ग्राम विकास अधिकारी की आईडी से बड़ी संख्या में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बना दिए थे। जांच में फर्जी प्रमाण पत्र के करीब 19 हजार मामले सामने आए थे। इनमें से कई प्रमाण पत्र पीएफआई, रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े होने की शिकायत भी सामने आई थी। इस मामले में यूपी एटीएस सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। रायबरेली के मामले ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी थी।

सबसे ज्यादा मैनपुरी क्षेत्र के प्रमाणपत्र 
हाथरस के मामले में सबसे ज्यादा प्रमाणपत्र मैनपुरी क्षेत्र के जारी हुए हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आईडी मैनपुरी जिले में चल रही है। हालांकि अभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है। जारी किए गए प्रमाण पत्रों में बिहार के 12, हरियाणा के 4, झारखंड के 13, कर्नाटक का 1, मध्य प्रदेश के 4 और उत्तर प्रदेश के 780 शामिल हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि फर्जीवाड़ा काफी व्यापक स्तर पर हुआ है।

खुलासे के बाद सवाल खड़े हुए
इस मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। यह आईडी कब बनी और कब जिले को मिली? पंचायत सचिवों तक उन्हें मिलने में देरी क्यों हुई? अगर यह आईडी जारी होने के बाद फर्जीवाड़ा हुआ है तो इसमें तथ्यों की चोरी प्रदेश स्तर से हुई या जिला स्तर से? ये सवाल खड़े हो गए हैं। सीआरएस पोर्टल के जरिए जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए ग्राम पंचायतों और नगर निकायों को लॉगिन आईडी दी जाती है। यह लॉगिन आईडी सीएमओ कार्यालय की रिपोर्ट पर प्रदेश स्तर से बनाई जाती है। इस आईडी को बनाने के लिए संबंधित विभागों से डेटा लिया जाता है। अधिकारी के तबादले की स्थिति में मोबाइल नंबर या अन्य विवरण बदला जाता है। अब सवाल यह है कि यह आईडी कब जनरेट हुई और कैसे इतने प्रमाण पत्र जारी हो गए। 12 जुलाई को एक अन्य पंचायत के अधिकारी यशपाल सिंह ने सीएमओ दफ्तर को एक पत्र भेजा था। उन्होंने बताया था कि उन्हें जून और जुलाई में 218 ओटीपी मिले, जो किसी अन्य पंचायत से जुड़े थे। लेकिन सीएमओ ने इस पत्र का संज्ञान नहीं लिया। अगर सीएमओ ने संज्ञान लिया होता तो शायद उसी समय सच सामने आ जाता। यह घटना सिस्टम में मौजूद खामियों को उजागर करती है।

इस तरह फर्जीवाड़े का अंदेशा
ग्राम पंचायत सिंचावली सानी की सीआरएस आईडी न होने के कारण, संबंधित ग्राम पंचायत सचिव को अपनी नजदीकी ग्राम पंचायत जाऊ इनायतपुर से प्रमाण पत्र जारी करने होते थे। जाऊ के लॉगिन से ही सिंचावली सानी के प्रमाण पत्र जारी किए जाते थे। सिंचावली सानी के ग्राम पंचायत सचिव ईश्वर चंद्र को सीएमओ कार्यालय की ओर से 3 अगस्त 2024 को लॉगिन आईडी दी गई है। इस मामले में यह संभावना जताई जा रही है कि या तो प्रमाण पत्र जारी करने वाली आईडी प्रदेश से जारी होने के बाद चोरी हुई है या फिर जिले में आने के बाद। या फिर इसे किसी सहयोग से हैक किया गया है। एक पंचायत सचिव के पास ओटीपी पहुंच रहे थे, जिस पर आईडी दर्ज थी onlinecybercafe88@gmail.com। उनकी शिकायत का संज्ञान नहीं लिया गया। इसलिए इस मामले में विभागीय जांच के साथ-साथ साइबर और सर्विलांस जांच भी हो सकती है। हैकरों ने एक फर्जी सॉफ्टवेयर बना रखा है, जिसमें विवरण दर्ज कर संबंधित पंचायत या निकाय के पूर्व या सेवानिवृत्त अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर और मोहर से प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है। यह प्रमाण पत्र भारत सरकार के पोर्टल पर तीन से चार दिन दिखता है और फिर गायब हो जाता है। यह नया मामला इस तरह के फर्जीवाड़े का एक नया रूप हो सकता है।

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