भारत में न्यूट्रिनो पर काम करने वाली इकलौती प्रमुख परियोजना थी
Aligarh news : भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने हाल ही में न्यूट्रिनो पर आधारित महत्वाकांक्षी परियोजना को बंद कर दिया है , जिससे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय समेत वैज्ञानिक समुदाय को बड़ा झटका लगा है । इस प्रोजेक्ट पर भारत में वर्ष 2000 से काम हो रहा था, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाना और ऊर्जा के नए स्रोतों को खोजना था।
परियोजना की शुरुआत सन् 2000 में हुई थी
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2000 में हुई थी, और 2002 में तमिलनाडु के थेनी जिले में न्यूट्रिनो वेधशाला बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इस वेधशाला में न्यूट्रिनो के स्वरूप और उनकी विशेषताओं का अध्ययन किया जाना था। यहां पर एक किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर 1200 मीटर ऊंचे पहाड़ के नीचे प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना थी। हालांकि, विभिन्न कारणों से यह परियोजना लगातार विलंबित होती रही। साल 2015 - 16 में परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिशें की गईं, लेकिन इसका क्रियान्वयन सफल नहीं हो सका।
भारत में न्यूट्रिनो पर काम करने वाली इकलौती प्रमुख परियोजना थी
न्यूट्रिनो अध्ययन में भारत की देरी के बीच चीन, जापान, अमेरिका, और यूरोप ने इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। चीन ने 2009-2012 के बीच डाया बे प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया। न्यूट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में यह सफलता अन्य देशों को नई खोजों के करीब ले आई है, जबकि भारत इस क्षेत्र में पीछे रह गया। एएमयू के भौतिकी विभाग ने इस परियोजना के लिए वर्षों से शोध कार्य में योगदान दिया था। परियोजना के बंद होने से यहां के शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह भारत में न्यूट्रिनो पर काम करने वाली इकलौती प्रमुख परियोजना थी।