दीपोत्सव के आमंत्रण को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने विवाद उठाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आयोजन में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया, जो कि भाजपा की सोच और उनकी विचारधारा को दर्शाता ...
Oct 31, 2024 16:55
दीपोत्सव के आमंत्रण को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने विवाद उठाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आयोजन में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया, जो कि भाजपा की सोच और उनकी विचारधारा को दर्शाता ...
Ayodhya News : दीपोत्सव के आमंत्रण को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने विवाद उठाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आयोजन में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया, जो कि भाजपा की सोच और उनकी विचारधारा को दर्शाता है। दीपोत्सव का आयोजन दिव्य और भव्य रहा, जिसे पूरी दुनिया ने देखा। इस कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया गया, जिससे लोग इससे जुड़ सके। मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे।
अवधेश प्रसाद ने जताई नाराजगी
सांसद अवधेश प्रसाद ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें आमंत्रण पत्र नहीं मिला, और यह भाजपा की सोच और मानसिकता को दर्शाता है। उनका आरोप है कि भाजपा ने त्योहारों का राजनीतिकरण कर दिया है, जिससे कार्यक्रम में केवल उन्हीं लोगों को बुलाया गया जिनको कार्ड दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि दीपोत्सव में किसानों और गरीबों के लिए कोई स्थान नहीं था, जो कि इस आयोजन की समावेशी भावना के खिलाफ है।
भाजपा पर साधा निशाना
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि उन्हें दीपोत्सव में आमंत्रित न किए जाने के पीछे भाजपा की सोच और विचारधारा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे त्योहार सदियों से मिलजुल कर मनाए जाते रहे हैं, लेकिन अब त्योहारों का राजनीतिकरण हो रहा है। सांसद ने बताया कि कई लोग मानते हैं कि अगर वे दीपोत्सव में जाते, तो केवल उनकी चर्चा होती और मीडिया उन्हें ही कवर करती। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि न तो किसानों को बुलाया गया और न ही गरीबों को, जबकि भारत एक किसान देश है।
यह बताया कारण
उनका कहना था कि उनकी निजी सचिव को फोन आया था कि अगर सांसद जी को दीपोत्सव में शामिल होना है, तो उन्हें लिखित में जानकारी देनी होगी। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह त्योहारों को राजनीतिक रंग देने के कारण देश की एकता और अखंडता को कमजोर कर रही है, और उनकी विचारधारा गंगा-जमुनी संस्कृति के विपरीत है।