अयोध्या से बड़ी खबर : अस्थायी राम मंदिर को सुरक्षित रखने का निर्णय, निर्माण कार्य तेजी से जारी

UPT | अस्थायी राम मंदिर

Oct 06, 2024 02:08

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर स्थित अस्थायी राम मंदिर को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। यह अस्थायी मंदिर वह स्थान है जहां भगवान रामलला को 5 अगस्त 2019 को राम मंदिर...

Ayodhya News : अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर स्थित अस्थायी राम मंदिर को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। यह अस्थायी मंदिर वह स्थान है जहां भगवान रामलला को 5 अगस्त 2019 को राम मंदिर शिलान्यास के बाद प्रतिष्ठित किया गया था। इस स्थल पर तीन साल तक पूजा-अर्चना हुई। राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इसकी पुष्टि की है और बताया कि 25 मार्च 2020 को रामलला को टेंट से निकालकर इस अस्थायी मंदिर में स्थापित किया गया था। अब इस अस्थायी मंदिर को भी सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। यह अस्थायी मंदिर थाईलैंड से लाई गई उच्च गुणवत्ता की लकड़ियों से निर्मित है और यह न केवल जलरोधी (वाटरप्रूफ) बल्कि आगरोधी (फायरप्रूफ) भी है।

अस्थायी मंदिर की विशिष्टताएं
अस्थाई राम मंदिर की विशिष्टता इसके निर्माण सामग्री और संरचना में निहित है। यह मंदिर थाईलैंड की लकड़ियों से बना हुआ है। जो विशेष रूप से मजबूत और टिकाऊ होती हैं। साथ ही इसे जल और आग से बचाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित रह सके। फिलहाल इस अस्थायी मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति प्रतिष्ठित है और उनकी पूजा-अर्चना नियमित रूप से हो रही है। पहले रामलला और उनके अनुजों की पूजा भी यहीं की जाती थी लेकिन 22 जनवरी 2024 को जब राम मंदिर निर्माण पूरा हुआ तो रामलला और उनके अनुजों को नए मंदिर में स्थापित कर दिया गया। हालांकि हनुमान जी इस अस्थायी मंदिर में विराजमान रहे और उनकी पूजा-अर्चना जारी है। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान रामलला के भोग के लिए रसोई भी बनाई गई है  जहां से भोग तैयार कर नवीन मंदिर में भेजा जाता है।

सप्त मंडपम और जलाशय का निर्माण कार्य
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में सप्त मंडपम का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। यह निर्माण कुबेर टीला और शेषावतार मंदिर के त्रिकोण क्षेत्र में हो रहा है। इसमें महर्षि अगस्त्य, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, देवी अहिल्या, माता शबरी और निषादराज की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की जाएंगी। इन मूर्तियों के निर्माण कार्य में राजस्थान और उड़ीसा के कुशल कारीगर शामिल हैं। जो मूर्तियों को पारंपरिक शैली में उकेर रहे हैं। इसके अलावा, सप्त मंडपम के मध्य में एक कुंड (जलाशय) का भी निर्माण किया जाएगा। यह जलाशय परिसर की शोभा बढ़ाएगा और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा। भवन-निर्माण समिति की बैठक में इस कुंड के डिजाइन पर भी चर्चा की गई है और इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है।

श्रद्धालुओं को मिलेंगी सुविधाएं
परकोटा के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में यात्रियों के लिए जूता-चप्पल स्टैंड और स्नान स्थल का निर्माण किया जा रहा है। यह व्यवस्था खासकर उन श्रद्धालुओं के लिए है जो मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ-पैर धोने की परंपरा का पालन करते हैं। गर्मी के दिनों में, यह स्टैंड श्रद्धालुओं को नंगे पांव चलने से बचाने में सहायक होगा। इस स्थान पर एक बार में 10-15 हजार श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल रखने की व्यवस्था होगी, और इसे हर दिन 12-13 घंटे के दर्शन के दौरान एक लाख से अधिक भक्तों द्वारा उपयोग किया जा सकेगा।

2025 तक 90% निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य
भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि जुलाई 2025 तक श्रीराम जन्मभूमि परिसर में 90 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। विद्युत सब स्टेशन, फायर स्टेशन, एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य पूरा हो चुका है और इन्हें किस्तों में ट्रस्ट को सौंपा जा रहा है। अब इनका संचालन और रखरखाव तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथों में होगा।

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