श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को राम के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए...
Sep 29, 2024 18:51
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को राम के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए...
*आईआईटी कानपुर से छात्रों का दल रामलला का दर्शन पूजन करने पहुंचा अयोध्या*
*कारसेवकपुरम में राममंदिर ट्रस्ट महासचिव चम्पतराय से की मुलाकात*
Ayodhya News : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने कहा कि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को राम के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्हें राम का अनुसरण कर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। रविवार को उक्त बातें चम्पत राय ने आईआईटी कानपुर से रामलला का दर्शन करने आए छात्रों से कहीं। छात्रों का दल जन्मभूमि पर रामलला के दर्शन के बाद कारसेवकपुरम में ट्रस्ट महामंत्री चम्पतराय से भी मुलाकात किया। उन्होंने सभी छात्रों से क्रमशः उनके रुचि के शैक्षिक विषयों की जानकारी ली। "एकोहम बहुस्यामि" की व्याख्या करते हुए चम्पत राय ने कहा कि एक ने अयोध्या दर्शन का मन बनाया। उनसे दो, दो से चार जुड़ते हुए इतने लोग साथ आ गए। ठीक इसी तरह बढ़ते हुए सम्पूर्ण प्राकृतिक व सृष्टि का निर्माण हुआ है।
*इंजीनियरिंग छात्रों को बताया अयोध्या का संक्षिप्त इतिहास*
अयोध्या के इतिहास की संक्षिप्त चर्चा में चम्पत राय ने कहा कि जब काल ने श्री राम से पृथ्वी पर उनके मनुष्य रूप में की जाने वाली लीला के समय समाप्ति की जानकारी दी और अपने धाम चलने के लिए निवेदन किया तो राम ने संपूर्ण अयोध्या की जिम्मेदारी हनुमंत लाल को सौंप कर स्वयं सरयू में जल समाधि ले लिया। वहां उन्होंने भौतिक शरीर को नष्ट कर दिया। सरयू में उस समाधि स्थान को आज गुप्तार घाट के रूप में जाना जाता है। इसके बाद ही से अयोध्या के राजा के रूप में हनुमान जी सदैव विराजमान रहते हैं। प्रभु राम ने सत्ता की जिम्मेदारी अपने किसी पुत्र अथवा नजदीकी को नहीं दी, जो आज के राजनितिक दलों के लिए सीखने का विषय है।
*अयोध्या धाम के दर्शनीय स्थलों व महत्व की दी जानकारी*
अयोध्या में होने वाले परम्परागत एकत्रीकरण, मेलों की चर्चा करते हुए कहा की उन तिथियों में यहाँ का भ्रमण कर पुरातनकाल की सांस्कृतिक विरासत को समझना चाहिए कि किस तरह सुगम मार्गो के न होने पर भी कठिनाई सहकर पूर्वजों ने विभिन्न परिक्रमाएं, मेलों की परम्परा जीवित रखी। उन्होने छात्रों को अयोध्या धाम के अन्य परम्परागत दर्शनीय स्थलों की भी जानकारी दी। उन्होंने बेहतर शिक्षा लेकर देश सेवा करने के लिए भी प्रेरित किया।