22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि पर बने दिव्य और भव्य मंदिर में आराध्य श्रीराम लला के बालस्वरूप में विराजने के बाद से देश-विदेश से भक्तों के आने का सिलसिला जारी है।
Oct 05, 2024 14:38
22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि पर बने दिव्य और भव्य मंदिर में आराध्य श्रीराम लला के बालस्वरूप में विराजने के बाद से देश-विदेश से भक्तों के आने का सिलसिला जारी है।
Ayodhya News : 22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्मभूमि पर बने दिव्य और भव्य मंदिर में आराध्य श्रीराम लला के बालस्वरूप में विराजने के बाद से देश-विदेश से भक्तों के आने का सिलसिला जारी है। वर्तमान में, लगभग 02 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन भगवान राम के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर रहे हैं। नेता, अभिनेता, अधिकारी और कर्मचारी सभी वर्ग के लोग रामनगरी पहुंचकर अपनी श्रद्धा निवेदित कर रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को 45 वर्ष की उम्र पार कर चुकी चार महिलाएं 1350 किलोमीटर साइकिल यात्रा कर रामनगरी पहुंची हैं। इनमें एक महिला हेड कांस्टेबल, एक होम्योपैथी चिकित्सक और दो गृहिणियां शामिल हैं। ये सभी महिलाएं 14 दिन में अपनी यात्रा पूरी कर आराध्य रामलला के दर्शन के लिए कारसेवकपुरम पहुंचीं, जहां उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चम्पतराय से मुलाकात की।
यात्रा का शुभारंभ रत्नागिरि से
महिलाओं ने अपनी साइकिल यात्रा 21 सितंबर को चिप्पलून, रत्नागिरि महाराष्ट्र से शुरू की थी। इसमें शामिल थीं ज्योति परांजपे (59 वर्ष), रमा कर्मारकर (47 वर्ष), डॉ. अश्वनी गणपत्ये (45 वर्ष) और धनश्री गोखले (40 वर्ष)। इन श्रद्धालुओं ने बताया कि यात्रा के दौरान सभी जिम्मेदारियां विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने संभाली, जबकि बसंत जोशी और जयन्त केलकर सपोर्ट टीम के रूप में साथ थे।
प्रतिदिन 12 घंटे साइकिल चलाकर पहुंचीं अयोध्या
महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र से निकलकर मध्य प्रदेश में महेश्वर, उज्जैन और इंदौर होते हुए उत्तर प्रदेश में झांसी, कालपी और लखनऊ तक यात्रा की। हर दिन लगभग 12 घंटे तक साइकिल चलाकर सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तय की। शनिवार की सुबह ये महिलाएं कारसेवकपुरम पहुंचीं, जहां उनका स्वागत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केन्द्र अयोध्या धाम में यथोचित सम्मान के साथ किया गया।
भावनाएं और अनुभव
महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही अयोध्या दर्शन की लालसा थी, जो अब पूरी हुई। उन्होंने कहा, "भगवान राम की नगरी में हर श्रद्धालु को जीवन में एक बार अवश्य आना चाहिए। यहां आकर मुझे गर्व और धन्यता का अनुभव हो रहा है।" उनकी यह यात्रा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह उस दृढ़ विश्वास और समर्पण का भी परिचायक है जो भक्तों में अपने आराध्य के प्रति होता है।