बलिया का ऐतिहासिक ददरी मेला : गिर नस्ल की गायों का प्रवेश होगा निशुल्क, पहली बार शामिल होंगे विदेशी नस्ल के कुत्ते और बिल्लियां

UPT | ददरी मेला

Oct 16, 2024 17:38

बलिया का ऐतिहासिक ददरी मेला इस साल भी इतिहास रचने जा रहा है। इस साल एक नवंबर से पशु मेला शुरू होगा, जबकि मुख्य मेला कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 15 नवंबर से आरंभ होगा।

Ballia News : बलिया के प्रसिद्ध ददरी मेले में इस वर्ष एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। हजारों वर्षों से चला आ रहा यह ऐतिहासिक मेला अब नए आयामों को छूने की तैयारी में है। इस वर्ष की विशेषता यह है कि पहली बार गिर नस्ल की गायें, विदेशी नस्ल के कुत्ते और बिल्लियां मेले की शोभा बढ़ाएंगे।

मेले का पशु बाजार 1 नवंबर से शुरू होगा
नगर पालिका अध्यक्ष संत कुमार गुप्ता ने बताया कि मेले की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि इस वर्ष का ददरी मेला पिछले सभी आयोजनों से अधिक भव्य और यादगार हो। मेले का पशु बाजार 1 नवंबर से शुरू होगा, जबकि मुख्य मेला कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 15 नवंबर से आरंभ होगा। 


मेले का आकर्षण होगी गिर नस्ल की गायें
इस वर्ष के मेले में सबसे बड़ा आकर्षण होगी गिर नस्ल की गायें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रशंसित इन गायों को विशेष रूप से मेले में लाया जा रहा है। नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि गिर गायों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इन उत्कृष्ट पशुओं को देख सकें और उनके महत्व को समझ सकें। 

देशी गायों, बछड़ों और बैलों के प्रवेश पर प्रतिबंध  
मेले में एक और नवाचार होगा विदेशी नस्ल के कुत्तों और बिल्लियों का प्रदर्शन। यह पहल मेले को एक नया आयाम देगी और पशु प्रेमियों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी। हालांकि, देशी नस्ल के पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, इस वर्ष देशी गायों, बछड़ों और बैलों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा।

नगर पालिका ने किए सुरक्षा के विशेष इंतजाम
नगर पालिका ने मेले की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं। पशु मेले के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जा रही है। साथ ही, कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व की तैयारियां भी पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। शहर से लेकर घाट तक की साफ-सफाई, बिजली व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

ददरी मेला न केवल एक व्यापारिक आयोजन है, बल्कि यह बलिया की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। इस वर्ष के नए प्रयोगों से मेले की लोकप्रियता और बढ़ने की उम्मीद है। स्थानीय व्यापारियों और कलाकारों को भी इस आयोजन से लाभ होने की आशा है।

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