ददरी मेला : सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की कोशिश, डीएम ने राज्य मेला घोषित करने को प्रदेश सरकार को लिखा पत्र  

UPT | ददरी मेले का जिलाधिकारी ने किया स्थलीय निरीक्षण।

Oct 21, 2024 21:04

महर्षि भृगु की धरती पर आयोजित होने वाला ददरी मेला जनपद बलिया के पौराणिक एवं धार्मिक महत्व का मेला है। इसका नामकरण महर्षि भृगु ने अपने प्रिय शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर किया था। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान व गंगा आरती में प्रतिभाग करने वाले श्रद्धालुओं सहित महीने भर चलने वाले ददरी मेले में लगभग 50 लाख लोग, आस-पास के क्षेत्र एवं देश के कोने-कोने से बलिया आते हैं। मेले के अन्तर्गत लगने वाला मीना बाजार जनपद व नगर क्षेत्र में व्यापार को द्रुतगति प्रदान करता है।

Ballia News : बलिया के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने के लिए जिला अधिकारी (डीएम) ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजा है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह मेला, जो महर्षि भृगु की पावन धरती पर आयोजित होता है, न केवल संरक्षित होगा बल्कि इसके माध्यम से जन सुविधाओं का विस्तार भी होगा। इस पहल से बलिया के इस अमूर्त विरासत की ख्याति देश और प्रदेश स्तर पर और अधिक बढ़ेगी।


ददरी मेला: सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
ददरी मेला बलिया जिले का एक महत्वपूर्ण और पौराणिक मेला है, जिसका आयोजन हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर होता है। इस मेले का नामकरण महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर किया था। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और गंगा आरती में भाग लेने के लिए लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से बलिया आते हैं। इस एक महीने लंबे मेले में लगभग 50 लाख लोग शामिल होते हैं, जो यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनते हैं।

मीना बाजार और व्यापारिक गतिविधियां
ददरी मेले का मुख्य आकर्षण 'मीना बाजार' है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है और लगभग 20 दिनों तक चलता है। मीना बाजार का नाम मुगल बादशाह अकबर के द्वारा रखा गया था, और इसका महत्व आज भी बरकरार है। इस बाजार के माध्यम से लगभग 30 करोड़ रुपये का व्यापार होता है, जिससे स्थानीय व्यापार को काफी बढ़ावा मिलता है। यहाँ लगने वाले बाजार में घरेलू वस्त्रों, हस्तशिल्प, और अन्य सामग्रियों की बिक्री होती है, जिससे न केवल व्यापारियों को बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी आर्थिक लाभ होता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और आयोजन
ददरी मेले में 'भारतेंदु मंच' पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें देश-प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जाती है। इनमें कुमार विश्वास, राहत इंदौरी, अनुराधा पौडवाल, और लोक गायिका मैथिली ठाकुर जैसे कलाकार शामिल हैं। इसके अलावा, ओपी शर्मा और पीसी सरकार जैसे मशहूर जादूगर भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।

मेले में 'चेतक प्रतियोगिता' के नाम से घुड़सवारी कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसका उद्घाटन पुलिस अधीक्षक द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही, दंगल प्रतियोगिता का आयोजन भी होता है, जिसमें विजेता को 'बलिया केसरी' का सम्मान दिया जाता है। मेले के दौरान संत समागम का आयोजन भी होता है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से संत आते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के महीने में गंगा घाट पर कल्पवास करते हैं। कव्वाली, मुशायरा, लोकगीत, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, खेल-कूद प्रतियोगिता, और चिकित्सा शिविर भी मेले के आकर्षण का हिस्सा होते हैं।

ददरी मेला का संरक्षण और विस्तार
ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने से इसके संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने प्रमुख सचिव, नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को पत्र भेजकर अपनी संस्तुति दी है। इस पत्र में उन्होंने मेला के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए इसके राजकीय मेला घोषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। अगर यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो इस अमूर्त धरोहर का संरक्षण और विस्तार सुनिश्चित हो सकेगा।

मेले की तैयारियों का जायजा
मेले की तैयारियों के मद्देनजर डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने संबंधित अधिकारियों के साथ ददरी मेला स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने मेले के आयोजन को सुव्यवस्थित करने के निर्देश दिए और सुरक्षा के सभी मानकों का पालन सुनिश्चित करने की बात कही। उन्होंने मेले में आने वाले लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त संख्या में कार्मिकों की तैनाती और रास्तों को दो लेन बनाने के निर्देश भी दिए।

डीएम ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी दुकानें व्यवस्थित ढंग से लगाई जाएं और रास्तों को अधिक चौड़ा रखा जाए ताकि आवागमन में कोई परेशानी न हो। इस निरीक्षण के दौरान अपर जिलाधिकारी डीपी सिंह, मुख्य राजस्व अधिकारी त्रिभुवन, नगर मजिस्ट्रेट इंद्रकांत द्विवेदी सहित अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित रहे।

सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की आवश्यकता
ददरी मेला न केवल बलिया के लिए एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह जिले की सांस्कृतिक पहचान का एक प्रतीक भी है। इसे राजकीय मेला का दर्जा मिलने से न केवल इसकी प्राचीनता और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित किया जा सकेगा, बल्कि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का भी विस्तार किया जा सकेगा। इस कदम से स्थानीय व्यापारियों और कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान होगा।

बलिया की पहचान को मजबूती मिलेगी 
ददरी मेले को राजकीय मेला घोषित करने की दिशा में उठाया गया यह कदम बलिया के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल बलिया की पहचान को मजबूती मिलेगी, बल्कि इस अमूर्त विरासत की ख्याति पूरे प्रदेश और देश में फैलेगी। जिलाधिकारी के इस प्रयास से ददरी मेला आने वाले समय में और भी भव्य और सुव्यवस्थित रूप में आयोजित हो सकेगा।

इसके राजकीय मेला घोषित होने से इस ऐतिहासिक मेले का संरक्षण सुनिश्चित होगा और भविष्य में इसे और भी व्यापक रूप से मनाया जाएगा। बलिया के निवासियों को भी उम्मीद है कि इस पहल से उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद मिलेगी और वे इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोकर रख सकेंगे। 

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