Azamgarh: लुटेरों की वजह से राम-सीता और लखन 25 वर्ष से झेल रहे हैं  ‘वनवास’

UP Times | वनवास

Jan 21, 2024 07:00

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उमंग और उल्लास देखा जा रहा है तो आजमगढ़ में लुटेरों की वजह से लखन-सिया संग राम 25 वर्ष से ‘वनवास’ झेल रहे हैं। ये वनवास कब ख़त्म होगा इसका जवाब आज भी भक्त तलाश रहे हैं।

Short Highlights
  • मालखाने में रखी हैं अष्‍टधातु की मूर्ति 
  • 13 जनवरी 1999 को आरती के बाद लुटेरे प्रतिमाएं उठा ले गए
Azamgarh News : एक वक़्त वो था जब भगवन राम अपना वनवास ख़त्म करके अयोध्या वापिस लौटे थे तो दिवाली मनाई गई थी और एक वक़्त 22 जनवरी का है जिसमें एक बार फिर बीते दौर की याद ताज़ा कर दी है। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उमंग और उल्लास देखा जा रहा है तो आजमगढ़ में लुटेरों की वजह से लखन-सिया संग राम 25 वर्ष से ‘वनवास’ झेल रहे हैं। ये वनवास कब ख़त्म होगा इसका जवाब आज भी भक्त तलाश रहे हैं।

मालखाने में रखी हैं अष्‍टधातु की मूर्ति 

कौन कहता है कि भगवान पर कभी मुसीबत नहीं आई या वो कभी परेशान नहीं किए गए। आप भी अगर ज़िंदगी की मुसीबतों से परेशान हैं तो आपको भगवान राम से सीख लेनी चाहिए। लोग सिर्फ आपको ही नहीं भगवान को परेशान करने से भी बाज़ नहीं आते हैं। इस बात का अंदाज़ा आपको ये जानकर ही लग जाएगा कि आजमगढ़ में लुटेरों की वजह से राम-सीता और लखन 25 वर्ष से ‘वनवास’ झेल रहे हैं। आजमगढ़ में तमसा और कुंवर नदी के संगम तट पर स्थित दत्तात्रेय धाम से लूटी गईं तीनों की अष्टधातु की प्रतिमाएं बरामदगी के बाद से पुलिस के मालखाने में रखी हुई हैं। निजामाबाद थाना क्षेत्र में स्थित दत्तात्रेय धाम में राम-लक्ष्मण और जानकी के साथ भगवान शंकर और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं। 

13 जनवरी 1999 को आरती के बाद लुटेरे प्रतिमाएं उठा ले गए

दत्तात्रेय ऋषि की प्रतिमा भी स्थापित है। धाम के मुख्य पुजारी रवि महाराज समेत यहां कई अन्य साधु-संत रहते हैं। 13 जनवरी 1999 की रात आरती के बाद करीब दर्जनभर सशस्त्रत्त् बदमाशों ने धाम पर धावा बोल दिया। धारदार हथियार से हमला कर महंत स्व. बाबा विनायक दास को जख्मी करने के बाद गर्भगृह में रखीं राम, जानकी व लक्ष्मण की अष्टधातु की बेशकीमती प्रतिमाएं उठा ले गए। महंत ने निजामाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने डकैती का मुकदमा दर्ज किया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष जेके सिंह के प्रयास से बलिया जिले से 29 जनवरी 1999 को तीनों प्रतिमाएं बरामद की गईं। तब से तीनों प्रतिमाएं निजामाबाद थाने के मालखाने में रखी हुई हैं। 

बरामदगी के बाद नहीं कराई गई प्रतिमाओं की स्थापना 

मुख्य पुजारी रवि महाराज ने बताया कि तीनों प्रतिमाओं का वजन करीब 18 किलो के आसपास है। उनकी कीमत करोड़ों में है। बरामदगी के बाद पुलिस ने इन प्रतिमाओं की स्थापना नहीं कराई। दत्तात्रेय धाम से लूट और फिर बरामदगी के बाद पुलिस के मालखाने में रखी गईं राम-लक्ष्मण और जानकी की अष्टधातु की प्रतिमाएं वर्ष 1918 में स्थापित कराई गई थीं। संतान प्राप्ति के बाद धाम के बगल के गांव चंदाभारी के जमींदार स्व. भैरोदयाल जायसवाल ने मंदिर में तीनों प्रतिमाओं की स्थापना कराई थी। उन्होंने करीब 80 बीघा जमीन भी धाम के नाम कर दी थी।

Also Read