बच्चों में डेंगू के लक्षण और रोकथाम : बदलते मौसम के साथ बढ़ जाता है खतरा, समय पर उचित इलाज जरूरी  

UPT | शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कुमार सिंह।

Oct 27, 2024 20:51

बदलते मौसम में डेंगू रोग का फैलाव चिंताजनक हो गया है। खासकर बच्चों में होने वाले डेंगू रोग से उन्हें कैसे बचाया जाए ? रोग के मुख्य लक्षण क्या हैं ? माता-पिता को बच्चों का ख्याल कैसे रखना चाहिए ? रोग से बचने के लिए किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ? इस संबंध में हम बात करेंगे नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कुमार सिंह से। आइए जानते हैं कि बच्चों में होने वाले डेंगू रोग को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?

Baliya News : बदलते मौसम के साथ बच्चों में डेंगू का खतरा बढ़ता जा रहा है। डेंगू से बचाव के उपाय, इसके लक्षण और बच्चों की देखभाल के लिए क्या किया जाए, इस पर खास बातचीत हुई नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत कुमार सिंह से। आइए जानते हैं, बच्चों में डेंगू के लक्षण और बचाव के बारे में उनका क्या कहना है। डॉ. प्रशांत कुमार सिंह, जो अपूर्व हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, शंकरपुर मझौली में कार्यरत हैं, बताते हैं कि डेंगू मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, शरीर में दर्द, हड्डियों में तेज दर्द और अत्यधिक कमजोरी शामिल हैं। डेंगू एक सामान्य बीमारी हो सकती है, लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न हो तो यह गंभीर और जानलेवा बन सकती है।

साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी
बच्चों को डेंगू से बचाने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि डेंगू के मच्छर स्थिर पानी में पनपते हैं। गंदगी से बच्चों को दूर रखें और उन्हें ऐसे स्थानों पर खेलने न दें जहां झाड़ियों या कूड़े का ढेर हो। इन जगहों पर मच्छरों की अधिकता रहती है। बच्चों को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए और बाहर जाते समय उन्हें पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाना चाहिए ताकि शरीर ढंका रहे।

तेजी से कम होने लगते हैं शरीर में प्लेटलेट्स
डॉ. प्रशांत बताते हैं कि डेंगू के दौरान शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होने लगते हैं। प्लेटलेट्स का स्तर गिरने से नाक और कान से खून आ सकता है, जो गंभीर स्थिति है। ऐसे में प्लेटलेट्स की मात्रा को बढ़ाने के लिए दवाएं दी जाती हैं और जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की सलाह दी जाती है। नवजात शिशुओं में पीलिया का खतरा: डॉ. प्रशांत ने यह भी बताया कि मां के गर्भ से जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं में पीलिया का खतरा अधिक होता है। समय से पहले जन्मे शिशुओं का लीवर पूरी तरह विकसित नहीं होता, जिससे पीलिया की संभावना बढ़ जाती है। इसका मुख्य लक्षण है शिशु का शरीर, आंखें, और नाखूनों का पीला होना। ऐसे में माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए और तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

डेंगू और पीलिया जैसी बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है कि माता-पिता पूरी सतर्कता बरतें और समय पर उचित चिकित्सा लें। साफ-सफाई और सावधानी से बच्चों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है। 

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