हादसे के बाद जागा PWD : निर्माणाधीन पुल पर दीवार लगाकर किया बंद, चेतावनी बोर्ड भी लगाया

UPT | निर्माणाधीन पुल

Nov 27, 2024 16:04

हादसे के बाद प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की है। नायब तहसीलदार छविराम ने पीडब्ल्यूडी के चार इंजीनियरों और पांच अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

Bareilly News : बरेली के बदायूं जिले में गूगल मैप्स की गलत लोकेशन की वजह से हुए दर्दनाक हादसे में तीन लोगों की जान चली गई। यह हादसा बदायूं के दातागंज तहसील क्षेत्र के मुंडा गांव में निर्माणाधीन पुल पर हुआ। हादसे के बाद प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी पर कार्रवाई की। कार्रवाई के बाद अब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की नींद खुली है और पीडब्ल्यूडी ने इस पुल को सीमेंट की दीवार लगाकर पूरी तरह से बंद कर दिया है और इस पर चेतावनी बोर्ड भी लगा दिया है।

पीडब्ल्यूडी के खिलाफ कार्रवाई
इस हादसे के बाद प्रशासन ने पीडब्ल्यूडी के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की है। नायब तहसीलदार छविराम ने पीडब्ल्यूडी के चार इंजीनियरों और पांच अन्य कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। अब इस हादसे की जांच बदायूं और बरेली के जिलाधिकारी (डीएम) मिलकर करेंगे। कार्रवाई के बाद अब पीडब्ल्यूडी ने निर्माणाधीन पुल पर दीवार लगाकर पूरी तरह से बंद कर दिया है और उस पर चेतावनी बोर्ड भी लगा दिया है।

हादसे के बाद उठे सवाल
हादसे के बाद इस क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे थे। स्थानीय लोगों का कहना था कि यदि निर्माणाधीन पुल पर कोई चेतावनी बोर्ड या अन्य सुरक्षा उपाय पहले से लगाए जाते, तो इस तरह की दुर्घटना टाली जा सकती थी। इसके बाद, लोक निर्माण विभाग ने मौके पर पहुंचकर पुल पर सीमेंट की दीवार बनवा दी और उस पर एक स्पष्ट चेतावनी बोर्ड भी लगाया।



सेतु निगम ने पीडब्ल्यूडी पर लगाया आरोप
यह पुल 2020 में ही तैयार हो चुका था, और निर्माण का कार्य सेतु निगम द्वारा किया गया था। सेतु निगम के रीजनल इंजीनियर ने हादसे के बाद कहा कि यह पुल 2021 में ही पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर किया जा चुका था, और उस समय से यह विभाग की जिम्मेदारी बन गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि पुल का निर्माण कार्य सही था, लेकिन इसके दोनों ओर अप्रोच रोड का काम पीडब्ल्यूडी का था। जब तक अप्रोच रोड नहीं बनता, तब तक पुल का उपयोग संभव नहीं था। 

पुल निर्माण की देरी
इस पुल का निर्माण 2020 में हुआ था, जिसकी लागत लगभग 40 करोड़ रुपये आई थी। पुल 667 मीटर लंबा था और इससे नदी के पार आवाजाही की सुविधा होनी थी। लेकिन, इसके दोनों ओर अप्रोच रोड बनाने का काम पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया था। पहले कुछ सालों तक इस काम को लटकाए रखा गया और बाद में जब अप्रोच रोड का निर्माण हुआ, तब पुल पर आवाजाही शुरू हो सकी। हालांकि, पिछले साल बाढ़ आने के कारण इस रोड का एक बड़ा हिस्सा बह गया, जिससे करीब 500 मीटर का हिस्सा कट गया और पुल पर आवाजाही फिर से बंद हो गई। 

सभी जिम्मेदार विभागों पर कार्रवाई की जरूरत
हादसे के बाद से केवल पीडब्ल्यूडी को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि इस पुल के निर्माण में कई विभागों की भूमिका थी। सेतु निगम द्वारा पुल का निर्माण किया गया था, लेकिन उस पर अप्रोच रोड का काम और पुल के बाद की सुरक्षा जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की थी। इसके अलावा, गूगल मैप्स की गलत लोकेशन की वजह से भी हादसा हुआ, जिससे यह सवाल उठता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के द्वारा दी जा रही जानकारी पर किस तरह की निगरानी रखी जाती है।

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हादसे की पूरी कहानी
यह हादसा दातागंज के मुंडा गांव में हुआ, जहां गूगल मैप्स पर गलत लोकेशन दिखाए जाने के कारण एक वाहन पुल की ओर बढ़ गया, जो कि अभी पूरी तरह से तैयार नहीं था। वाहन का संतुलन बिगड़ गया और वह पुल से गिर गया, जिसके कारण तीन लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पीडब्ल्यूडी को जिम्मेदार ठहराया और पुल पर सुरक्षा दीवारें लगाने के आदेश दिए। 

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